वरिष्ठ लिपिक की आत्महत्या से नाराज कर्मचारियों ने की तालाबंदी
मंत्री और प्रमुख सचिव को भेजी शिकायत
लखनऊ। ग्राम विकास विभाग के वरिष्ठ लिपिक की आत्महत्या के दूसरे दिन ग्राम विकास विभाग के कर्मचारियों ने तालाबंदी करते हुए अपर आयुक्त ग्राम्य विकास हेमंत कुमार के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किये जाने की मांग की है।
ग्राम्य विकास विभाग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह ने आरोप लगाया है कि अपर आयुक्त द्वारा पदोन्नति के मामले में लम्बित एक न्यायालय की फाईल को लेकर उक्त कर्मचारी का उत्पीड़न किया जा रहा था और उसे परेशान किया गया था जिससे उक्त कर्मचारी मानसिक रूप में प्रताडि़त हो चुका था परिणाम स्वरूप उसे आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाना पड़ा। उन्होंने बताया कि इस मामले में तालाबंदी के साथ ही विभागीय मंत्री और प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की गई है। उधर इस मामले से प्रभावित ग्रामीण अभियंत्रण सेवा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पवन मिश्रा ने बताया कि कुछ ऐसी ही परिस्थिति उनके विभाग में बनी हुई है। वरिष्ठ कर्मिकों की उपेक्षा कर कनिष्ठ कर्मचारियों को पद दिये जाने तथा वरिष्ठ कर्मचारियों की उपेक्षा विभागीय अधिकारी कर रहे है जिसक चलते विभाग में कर्मचारियों में काफी आक्रोष एवं कुण्ठा व्याप्त है।
ज्ञात हो कि ग्राम विकास विभाग के वरिश्ठ लिपिक-प्रधान सहायक हरिष्चंद्र यादव (59) ने बुधवार दोपहर जवाहर भवन की पांचवीं मंजिल से छलांग लगा दी। फर्ष पर गिरने के बाद काफी देर तक वह तड़पते रहे।पुलिस और एसोसिएषन के पदाधिकारियों के पहुंचने के बाद उन्हें सिविल अस्पताल जे जाया गया, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। हरिष्चंद्र जुलाई में रिटायर हो जाते, उनका दो दिन बाद ही प्रमोषन होना था।हरिष्चंद्र यादव पांचवीं मंजिल से छलांग लगाकर खुदकुषी करने से पहले नौवीं मंजिल से भी कूदने की कोषिष की थी। तब कर्मचारियों ने उन्हें पकड़ लिया था।हरिष्चंद्र मूलरूप से उन्नाव के नवाबगंज के रहने वाले थे और रोज वहीं से ऑफिस आते-जाते थे। वह जवाहर भवन में ग्राम विकास विभाग के पांचवें तल पर स्थित ऑफिस में बैठते थे। इस मामले में संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि पदोन्नति सम्बंधित एक मामले में छह माह पहले एक रिट दाखिल हुई थी इससे सम्बंधित अभिलेख लेकर जब भी श्री यादव अपर आयुक्त प्रशासन के पास जाते वे फाइल को टरका देते जब इस मामले में कोर्ट की अवमानना की स्थिति आई तो घबराये हुए अपर आयुक्त ने उक्त कर्मचारियों को बहुत बुरी तरह से प्रताडि़त किया।
विभाग में इस बात की भी चर्चा है कि अपर आयुक्त द्वारा बिना शासन की जानकारी के गेच्युटी और नकदीकरण की सुविधा छिन लेने के कारण भी कई कर्मचारी कोर्ट गए और उसके परिणाम स्वरूप कर्मचारियों को गेच्युटी का भुगतान किया गया। कुछ कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कर्मचारियों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर उस कर्मचारी को न्यायालय से आदेश लेकर आने के लिए इन्ही के द्वारा बाध्य किया जाता है। हालाकि इस मामले में अभी जवाहर भवन इन्दिरा भवन कर्मचारी महासंघ ने कोई रूख अख्तियार नही किया है लेकिन बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर सच्चाई सामने आती है और अधिकारी द्वारा उत्पीड़न के कुछ तथ्य मिलते है तो वे इस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कराने में कोई कसर नही छोड़ेगें।