लखनऊ। बीकेटी क्षेत्र के तीन घरों में सोमवार की रात बेखौफ डकैतों ने धावा बोला और विरोध करने पर महिलाएं समेत कई लोगों को पीट.पीटकर लहूलुहान भी किया था। एक साथ तीन घरों में पड़ी डकैती की खबर पर पूरे इलाके में अभी भी दहशत का माहौल बना हुआ है। इस मामले में पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच कर गहन छानबीन की लेकिन 24 घंटे गुजरने के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।
फिलहाल पुलिस हवा में ही तीर चला रही है। जांच में जुटे अधिकारियों की थ्योरी पर गौर करें तो वारदात को अंजाम देने वाले गिरोह गैर जिलों के हैं, लेकिन यहां का रास्ता बताने वाला कोई इलाकाई शख्स है। सूत्रों की मानें तो पुलिस रेलवे स्टेशन एवं कुछ ऐसे स्थान को चिन्हित कर लुटेरों की तलाश में जुटी हैएजो दिन में दिखावे के तौर पर फेरी लगाकर सामान बेचते हैं और रात में घटना को अंजाम देकर फिर अपने डेरे में छिप जाते हैं। पड़ताल में जुटे एक अधिकारी का कहना है कि डकैतों की तलाश में क्राइम ब्रांच सहित पुलिस की तीन टीमों को लगाया गया है। सर्विलांस सेल की भी मदद से संदिग्ध युवकों के बारे में भी छानबीन की जा रही है। फिलहाल पुलिस कई बिंदुओं पर जांच पड़ताल कर डकैतों की तलाश करने का दावा कर रही है, लेकिन अभी तक हाथ कुछ नहीं लगा। वहीं पुलिस संदेह के आधार पर चार लोगों को हिरासत में ले लिया है और उनसे गहन पूछताछ करने में जुटी हुई है। एसएसपी राजेश कुमार पांडेय के मुताबिक पुलिस टीम होमवर्क कर रही है और जल्द ही डकैत पकड़ लिए जायेंगे।
बीकेटी क्षेत्र के भीखापुरवा निवासी नगर पंचायत अध्यक्ष सुमन रावत एवं अकोहरी गांव निवासी रामचंद्र यादव तथा विजयपुर गांव निवासी किशन यादव के घर लाठी-डंडों एवं लोहे की राड से लैस एक दर्जन से अधिक बेखौफ डकैतों ने जमकर आतंक मचाया और विरोध करने पर चेयरमैन सुमन रावत, पति गनेश रावत एवं उनके भतीजे अरविन्द, कैलाश के अलावा अकोहरी गांव निवासी रामचंद्र यादव किशन, महिला सरोज, विमल एवं धर्मेन्द्र सहित कई लोगों को पीट-पीटकर बुरी तरह से जख्मी कर दिया था। यह वारदात एक दो दिन के अंतराल में नहीं बल्कि एक घंटे के भीतर हुई थी। बदमाश घंटे भर तीन घरों में आतंक मचाते रहे और पुलिस को इसकी जरा भी भनक नहीं लग सकी थी। तीन घरों में सिलसिलेवार हुई डकैती से साफ है कि स्थानीय पुलिस क्षेत्र में गश्त नहीं बल्कि रिंग रोड पर ट्रकों से वसूली करने में मशगूल रहती है। इस घटना की जानकार मिलते ही आईजी ए. सतीश गणेश, डीआईजी आरकेएस राठौर एवं एसएसपी राजेश कुमार पांडेय समेत कई पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच कर डॉग स्क्वायड एवं फिंगर प्रिंट दस्ते के साथ छानबीन कर मातहतों को निर्देशित किया कि डकैत जल्द से जल्द सलाखों के पीछे हों, हालांकि पुलिस अफसर भले ही मातहतों को आदेश-निर्देश दें, लेकिन उनके लिये मायने नहीं रखता।
सवाल है कि राजधानी के अन्य थानों की अपेक्षा ट्रांसगोमती इलाके में अपराधियों का बोल-बाला रहा और पुलिस तमाशबीन बनी रही। बीते दिनों हुई वारदातों की तरह बीकेटी डकैती कांड में भी पुलिस लखनऊ के अलावा आसपास के जिलों में जाकर डेरा डाला, लेकिन 24 घंटे गुजरने के बाद भी पुलिस इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी कि आखिर किसी गिरोह ने तीन घरों में डाका डाला। पुलिस की तीन टीमें डकैतों की तलाश में होमवर्क कर रही हैं और दो दिन में कई तरह की थ्योरी बदली, लेकिन हाथ कुछ नहीं लग सका। इससे साफ है कि पुलिस की कवायद पर डकैतों का दुस्साहस भारी पडृ़ रहा है। वहीं पुलिस संदेह के आधार पर चार लोगों को हिरासत में लेकर गहन पूछताछ कर रही है।