मंत्रिपरिषद के निर्णय : संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में एडवान्स पीडियाट्रिक सेन्टर की स्थापना होगी


लखनऊ | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-

मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में एडवान्स पीडियाट्रिक सेन्टर की स्थापना के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ कैम्पस में ई0पी0सी0 मोड पर 500 बेडेड एडवान्स पीडियाट्रिक सेन्टर (फेज-1) के निर्माण कार्य से सम्बन्धित प्रायोजना, जिसकी जी0एस0टी0 सहित आंकलित लागत 19910.52 लाख (01 अरब 99 करोड़ 10 लाख 52 हजार) रुपये के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
प्रस्तावित 500 बेडेड एडवान्स पीडियाट्रिक सेन्टर का निर्माण कार्य फेजवार किया जाना है। इसमें फेज-1 में 308 बेड एवं फेज-2 में 265 बेड, कुल 573 बेड का निर्माण कार्य कराया जाना प्रस्तावित है। प्रथम चरण में 12 विभाग एवं द्वितीय चरण 11 विभाग प्रारम्भ किये जाएंगे। विभिन्न चरणों में 500 बेडेड एडवान्स पीडियाट्रिक सेन्टर की स्थापना पर 500 करोड़ रुपये तक का व्यय सम्भावित है।
ज्ञातव्य है कि संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज हेतु अलग-अलग सेन्टर बने हैं, जहां प्रदेश भर से आने वाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है। वर्तमान में नई-नई बीमारियों के कारण नवीन तकनीक/चिकित्सा प्रणाली का प्रयोग अपरिहार्य हो गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में एडवान्स पीडियाट्रिक सेन्टर का निर्माण प्रस्तावित है, जिससे बच्चों में हो रही नई-नई बीमारियों का इलाज विश्वस्तरीय तकनीक से समय पर किया जा सके।

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लिगेसी स्टाल्ड रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स की समस्याओं के निदान के लिए एक्स सी0ई0ओ0, नीति आयोग श्री अमिताभ कान्त की अध्यक्षता में गठित समिति की संस्तुतियों के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने लिगेसी स्टाल्ड रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स की समस्याओं के निदान के लिए श्री अमिताभ कान्त (एक्स सी0ई0ओ0, नीति आयोग, भारत सरकार) की अध्यक्षता में गठित समिति की संस्तुतियों के क्रियान्वयन हेतु राज्य सरकार द्वारा दिये जाने वाले नीति, पैकेज के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। प्रस्तावित नीति, पैकेज का लक्ष्य होम बायर को रजिस्ट्री के साथ घर, फ्लैट यथाशीघ्र उपलब्ध कराना है।
इण्डियन बैंक एसोसिएशन के एक अनुमान के अनुसार पूरे देश में लगभग 4.12 लाख ऐसे घर हैं, जो डेवलपर्स की खराब वित्तीय स्थिति की वजह से पूर्ण नहीं हो पा रहे हैं। इनमें से लगभग 2.40 लाख घर एन0सी0आर0 में स्थित हैं। समिति की इन संस्तुतियों के लागू होने पर घर खरीददारों के हितों की रक्षा होगी तथा रुकी हुई परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूर्ण कर बिल्डरों द्वारा फ्लैट, घर के बायर्स को पूर्ण निर्मित फ्लैट नियत समय से उपलब्ध कराया जाना सम्भव होगा। इस निर्णय से आर्थिक विकास को गति मिलेगी। जन सामान्य को क्षेत्रीय विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे।

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प्रदेश के 57 जनपदों में साइबर क्राइम पुलिस थानों की स्थापना के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के 57 जनपदों में साइबर क्राइम पुलिस थानों की स्थापना के प्रस्ताव को कार्यात्तर स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उल्लेखनीय है कि कार्यवाही किये जाने की तत्काल आवश्यकता के दृष्टिगत 57 जनपदों में साइबर क्राइम पुलिस थानों की स्थापना से सम्बन्धित अधिसूचना संख्या-2729पी/छः-पु-6-2023-300(13)/2014 दिनांक 14 दिसम्बर, 2023 मुख्यमंत्री जी के अनुमोदनोपरान्त निर्गत कर दी गयी है। प्रस्तावित व्यवस्था में किसी प्रकार के संशोधन/परिवर्धन के लिये मंत्रिपरिषद द्वारा मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि साइबर अपराधों की रोकथाम तथा जांच, विवेचनाओं का सामयिक निस्तारण करके साइबर क्राइम में संलिप्त अपराधियों को दण्डित कराये जाने के लिए पूर्व में 31 मार्च, 2016 को जनपद गौतमबुद्धनगर एवं लखनऊ में 02 साइबर क्राइम पुलिस थानों एवं 06 फरवरी, 2020 को 16 परिक्षेत्रीय मुख्यालयों में परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों की स्थापना की गयी है।
साइबर अपराधियों द्वारा नवीन तकनीकी का प्रयोग करके एवं पहचान छिपाकर अपराध कारित किया जाता है, जिससे अभियोग का अनावरण एवं अभियुक्तों के विरुद्ध कार्यवाही हेतु विशेषज्ञता एवं उन्नत तकनीकी माध्यमों के उपयोग की आवश्यकता है। साइबर अपराध में हो रही उत्तरोत्तर वृद्धि को देखते हुए मात्र 18 साइबर क्राइम थानों द्वारा गुणात्मक विवेचनात्मक कार्यवाही किया जाना असम्भव हो गया है।
वर्तमान समय में साइबर अपराधों की रोकथाम एवं उच्च कोटि की विवेचना हेतु परिक्षेत्र स्तर पर संचालित साइबर क्राइम पुलिस थानों के अनुरूप प्रत्येक जनपद में जनपदीय साइबर क्राइम पुलिस थाना स्थापित किये जाने की आवश्यकता है, जिससे साइबर अपराधों पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जा सके।

वर्तमान में 18 जनपदों के परिक्षेत्रीय मुख्यालयों में साइबर क्राइम थानों की स्थापना की जा चुकी है। अतः अवशेष 57 जनपदों उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर,  हरदोई, लखीमपुर खीरी, कानपुर देहात, इटावा, फतेहगढ़, कन्नौज, औरैया, मेरठ, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, बागपत, हापुड़, सुलतानपुर, बाराबंकी, अमेठी, अम्बेडकर नगर, एटा, हाथरस, कासगंज, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, जौनपुर, गाजीपुर, चन्दौली, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, बदायूं, शाहजहाँपुर, पीलीभीत, रामपुर, बिजनौर, अमरोहा, सम्भल, प्रतापगढ़, फतेहपुर, कौशाम्बी, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, सोनभद्र, भदोही, मऊ, बलिया, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, ललितपुर, जालौन, मुजफ्फरनगर एवं शामली में भी एक-एक जनपदीय साइबर क्राइम पुलिस थाना की स्थापना किया जाना औचित्यपूर्ण है।
इन 57 जनपदीय साइबर क्राइम पुलिस थानों में विभिन्न श्रेणी के कुल 1,425 पदों के सृजन का प्रस्ताव है। इस जनशक्ति पर आने वाला अनुमानित आवर्तक व्ययभार 91 करोड़ 24 लाख 37 हजार 532 रुपये एवं अनावर्तक व्ययभार 42 लाख 75 हजार रुपये अर्थात कुल-व्यय-भार 91 करोड़ 67 लाख 12 हजार 532 रुपये की आवश्यकता होगी। इन 57 साइबर क्राइम थानों में उपकरण संसाधन/साज-सज्जा पर 35 करोड़ 57 लाख 38 हजार 596 रुपये का व्ययभार अनुमानित है। इस प्रकार इन 57 जनपदीय साइबर क्राइम पुलिस थानों की स्थापना पर कुल धनराशि 01 अरब 27 करोड़ 24 लाख 51 हजार 128 रुपये मात्र का व्ययभार अनुमानित है।

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जनपद आगरा में अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र का साउथ एशिया रीजनल सेण्टर स्थापित किये जाने हेतु राजकीय प्रक्षेत्र सींगना में स्थित उद्यान विभाग की 10 हे0 भूमि भारत सरकार के नियंत्रणाधीन राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड को 99 वर्ष के लिए निःशुल्क दिये जाने हेतु लीज डीड पर आने वाले स्टाम्प तथा निबन्धन शुल्क में छूट प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने जनपद आगरा में राजकीय प्रक्षेत्र, सींगना में अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र, पेरू का साउथ एशिया रीजनल सेण्टर स्थापित किये जाने हेतु ग्राम सींगना, तहसील-किरावली, जनपद-आगरा में स्थित उद्यान विभाग की भूमि क्षेत्रफल 138.50 हेक्टेयर में से चिन्हित 10 हेक्टेयर भूमि को कृषि एवं किसान कल्याण, उद्यान प्रभाग, भारत सरकार के नियंत्रणाधीन स्वायत्तशासी निकाय राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, गुरुग्राम हरियाणा को 99 वर्ष के लिये निःशुल्क लीज पर दिये जाने हेतु उद्यान विभाग, उ0प्र0 व राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, गुरुग्राम हरियाणा के बीच होने वाली हस्ताक्षरित लीज डीड पर देय 37 लाख 50 हजार रुपये का स्टाम्प शुल्क तथा 07 लाख 50 हजार रुपये के निबन्धन शुल्क में छूट दिये जाने हेतु स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग से अपेक्षित अधिसूचना निर्गत कराये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उल्लेखनीय है कि आलू की उच्च उपज वाली, निर्यात व प्रसंस्करण योग्य, जलवायु के अनुकूल, रोगों व कीटों से प्रतिरोधी, पोषक तत्वों से भरपूर एवं लम्बे समय तक भण्डारण योग्य प्रजातियों के विकास करने व कृषकों को गुणवत्तायुक्त आलू बीज की नयी किस्में तथा उनकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त होने का अवसर उपलब्ध कराने आदि के उद्देश्य से जनपद आगरा में स्थित उद्यान विभाग के राजकीय प्रक्षेत्र सींगना में अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र पेरू का साउथ एशिया रीजनल सेन्टर स्थापित किया जाना है।

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उ0प्र0 कृषि उत्पादन मण्डी (अट्ठाइसवां संशोधन) नियमावली, 2023 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में मंत्रिपरिषद ने कृषि उत्पादों हेतु राष्ट्रीय स्तर पर कृषकों को बाजार (ई-नाम) उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से प्रदेश के बाहर के व्यापारियों को प्रदेश में तथा प्रदेश के व्यापारियों को अन्य प्रदेशों में विनिर्दिष्ट कृषि उत्पादों को व्यापार हेतु लाइसेंस उपलब्ध कराये जाने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी नियमावली, 1965 (यथासंशोधित) के नियम 70 में संशोधन करते हुए उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी (अट्ठाइसवां संशोधन) नियमावली, 2023 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि कृषि विपणन सुधारों की दिशा में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा यह निर्देश प्रसारित किये गये हैं कि ई-नाम परियोजना के अन्तर्गत प्रदेश के बाहर के व्यापारियों को प्रदेश के विनिर्दिष्ट कृषि उत्पादों के क्रय-विक्रय हेतु लाइसेंस जारी कर अनुमति दी जाए। यह अनुमति पारस्परिक होगी, अर्थात् प्रदेश के व्यापारी भी अन्य प्रदेशों में विनिर्दिष्ट कृषि उत्पाद का क्रय, विक्रय कर सकेंगे अर्थात् Recognition of Trading Licences of other State (Reciprocity of trading licence) को राज्य की कृषि विपणन व्यवस्था में शामिल करना है।

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भारत सरकार की भारतनेट योजना के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर केबिल बिछाने तथा मोबाइल कनेक्टिविटी से वंचित गांवों में 4जी मोबाइल सेवाओं की संतृप्ति हेतु उपलब्ध कराये जाने वाली वन भूमि के प्रीमियम और लीज रेण्ट के भुगतान से छूट प्रदान किए जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने भारत संचार निगम लिमिटेड को भारतनेट योजना के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर केबिल बिछाने तथा मोबाइल कनेक्टिविटी से वंचित गांवों में 4जी मोबाइल सेवाओं की संतृप्ति हेतु उपलब्ध करायी जाने वाली वन भूमि के प्रीमियम और लीज रेण्ट के भुगतान से भारत संचार निगम लिमिटेड को छूट प्रदान किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एन0ओ0एफ0एन0) परियोजना के अन्तर्गत प्रदेश में ब्रॉडबैण्ड कनेक्टिविटी हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर ऑप्टिकल फाइबर केबिल बिछाया जाना तथा मोबाइल कनेक्टिविटी से वंचित गांवों में मोबाइल सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए मोबाइल टावर्स की स्थापना, इन क्षेत्रों में स्थानीय जनता, ग्राम पंचायतों एवं राज्य सरकार के हित में है। इस कार्य हेतु भारत सरकार द्वारा स्पेशल परपज वेहिकिल के रूप में भारत ब्रॉडबैण्ड नेटवर्क लिमिटेड (बी0बी0एन0एल0) का चयन किया गया है।

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उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के अन्तर्गत प्रदेश में मेगा श्रेणी के औद्योगिक उपक्रमों हेतु विशेष सुविधाएं एवं रियायतें अनुमन्य कराये जाने विषयक
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के अन्तर्गत प्रदेश में मेगा श्रेणी के औद्योगिक उपक्रमों हेतु विशेष सुविधाएं एवं रियायतें अनुमन्य कराये जाने विषयक शासनादेश संख्या-21/2023/1307/ 77-6-2023-2 (एम), 2022 दिनांक 14 अप्रैल, 2023 द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति (एच0एल0ई0सी0) की दिनांक 29 सितम्बर, 2023 को सम्पन्न प्रथम बैठक में की गई संस्तुतियों पर अनुमोदन प्रदान कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 में अनुमन्य वित्तीय प्रोत्साहन हेतु अर्ह मेगा श्रेणी एवं उससे उच्च औद्योगिक इकाइयों को लेटर ऑफ कम्फर्ट निर्गत किये जाने की संस्तुति किये जाने का अधिकार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति (एच0एल0ई0सी0) में निहित है। इस उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति द्वारा की गई संस्तुति का अंतिम अनुमोदन मंत्रिपरिषद द्वारा प्रदान किये जाने का प्राविधान है।
इस बैठक में वरुण वेबरेजेस की चार औद्योगिक इकाईयों को निम्न विवरण के अनुसार लेटर ऑफ कम्फर्ट निर्गत करने की संस्तुति की गयी है :-
(क) अमेठी परियोजना : 713.75 करोड़ रुपये – 4.67 करोड़ रुपये = 709.08 करोड़ रुपये आगणित पात्र पूंजी निवेश (ई0सी0आई0)।
(ख) प्रयागराज परियोजना : 1019.87 करोड़ रुपये – 25.08 करोड़ रुपये = 994.79 करोड़ रुपये आगणित पात्र पूंजी निवेश (ई0सी0आई0)।
(ग) गोरखपुर परियोजना : 1040.24 करोड़ रुपये – 25.22 करोड़ रुपये = 1015.02 करोड़ रुपये आगणित पात्र पूंजी निवेश (ई0सी0आई0)।
(घ) चित्रकूट परियोजना : 473.45 करोड़ रुपये – 26.77 करोड़ रुपये =
446.68 करोड़ रुपये आगणित पात्र पूंजी निवेश (ई0सी0आई0)।
  उपरोक्त विवरणानुसार आगणित पात्र पूंजी निवेश (ई0सी0आई0) के सापेक्ष नीति में प्राविधानित प्रोत्साहन विकल्पों में से शुद्ध एस0जी0एस0टी0 रिफण्ड का विकल्प चयनित किया गया है।

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हरदुआगंज (1×660) मेगा वॉट तापीय विस्तार परियोजना की तृतीय पुनरीक्षित लागत 6352.14 करोड़ रु0 स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने इनर्जी टास्क फोर्स के अनुमोदन के क्रम में हरदुआगंज (1×660) मेगा वॉट तापीय विस्तार परियोजना की तृतीय पुनरीक्षित लागत 6352.14 करोड़ रुपये को स्वीकृति प्रदान कर दी है। सुपर क्रिटिकल तकनीक एवं नये पर्यावरण मानकां के अनुरूप एस0सी0आर0 (सिलेक्टिव केटालिटिक रिडक्शन) एवं एफ0जी0डी0 (फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन) की स्थापना के साथ प्रदेश की प्रथम इकाई हरदुआगंज (1×660) मेगा वॉट तापीय विस्तार परियोजना, कासिमपुर, अलीगढ़ की तृतीय संशोधित लागत अनुमोदित की गयी है। इसका 70 प्रतिशत भाग वित्तीय संसाधनों से स्वीकृत ऋण एवं 30 प्रतिशत शासकीय अंशपूंजी द्वारा पोषित होगा। परियोजना को 09 फरवरी, 2022 से वाणिज्यिक भार पर घोषित किया जा चुका है। परियोजना से उत्पादित शत-प्रतिशत बिजली प्रदेश की जनता को प्राप्त हो रही है।

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 सहारनपुर विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में 33 राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 के प्राविधानों के अन्तर्गत विकास क्षेत्र की निरन्तरता एवं सुनियोजित विकास हेतु अधिनियम की धारा-3 के अन्तर्गत सहारनपुर विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में कुल 33 राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम, 1973 की धारा-3 के प्राविधानों के अन्तर्गत सुनियोजित विकास हेतु शासनादेश संख्या-1347/9-आ0वि0-95-67-डीए/83 दिनांक 03.05.1995 द्वारा सहारनपुर विकास प्राधिकरण का गठन किया गया तथा पूर्व से अधिसूचित विनियमित क्षेत्र (सहारनपुर नगरपालिका के सीमा के अन्तर्गत आने वाले तथा उसके आस-पास 102 राजस्व ग्रामों) को यथावत रखा गया।
सहारनपुर विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र का सीमा विस्तार औचित्यपूर्ण होने के दृष्टिगत तहसील सहारनपुर सदर के 18 राजस्व ग्रामों, तहसील नकुड़ के 08 राजस्व ग्रामों, तहसील रामपुर मनिहारन के 05 राजस्व ग्रामों एवं 02 ग्राम (ग्राम-उग्राहू अहतमल, तहसील सदर एवं ग्राम मिर्जापुर तहसील नकुड़) जो पूर्व के अधिसूचित होने से छूट गये थे, को सम्मिलित करते हुये कुल 33 राजस्व ग्रामों को सहारनपुर विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में सम्मिलित किया जाना है।
सहारनपुर नगर एवं आस-पास के क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि एवं प्रमुख मार्गों पर तीव्र औद्योगिक एवं व्यावसायिक गतिविधियाँ विद्यमान हैं। इसके कारण नगर एवं आस-पास के क्षेत्रों में होने वाले विकास एवं निर्माण कार्य को सुनियोजित विकास का स्वरूप देने हेतु सहारनपुर विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र का सीमा विस्तार किया जाना नितांत आवश्यक है।

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अधिवक्ता कल्याण निधि (कॉर्पस फण्ड) को बढ़ाकर 500 करोड़ रु0 किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति

मंत्रिपरिषद ने अधिवक्ता कल्याण निधि (कॉर्पस फण्ड) को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि प्रदेश अधिवक्ताओं के कल्याण के संवर्धन के निमित्त अधिवक्ता कल्याण निधि (कॉर्पस फण्ड) की स्थापना की गयी है। इसके द्वारा वर्तमान में अधिवक्ताओं की मृत्यु के पश्चात उनके विधिक वारिसों/आश्रितों को आर्थिक सहायता के रूप में 05 लाख रुपये की धनराशि प्रदान की जाती है। वर्तमान सरकार द्वारा अपने संकल्प पत्र-2017 के क्रम में अधिवक्ताओं की मृत्यु पर उनके परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि की आयु सीमा को बढ़ाकर 70 वर्ष कर दिया गया है। मृतक अधिवक्ताओं के आश्रितों को प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता की राशि 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 05 लाख रुपये कर दी गयी है। इससे उनके आश्रितों को अधिक आर्थिक सुरक्षा प्रदान होगी।

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आबकारी नीति वर्ष 2024-25 के प्रख्यापन के संबंध में

मंत्रिपरिषद ने आबकारी नीति वर्ष 2024-25 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि मादक वस्तुओं के निर्माण, परिवहन, आयात, निर्यात, बिक्री एवं कब्जे में रखे जाने सम्बन्धी गतिविधियों को विनियमित एवं नियंत्रित करते हुए प्रदेश के वित्तीय संसाधनों की वृद्धि करने, उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर गुणवत्ता पूर्ण मदिरा उपलब्ध कराये जाने, निवेश को प्रोत्साहन देने, राज्य को आत्मनिर्भर उत्पादक राज्य बनाये जाने, कृषि उत्पादों को नष्ट होने से बचाते हुए किसानी की आय में वृद्धि करने और रोजगार सृजन के अवसर प्रदान करने, मदिरा पान को जिम्मेदार एवं सुरक्षित सीमा में रखे जाने, लिकर माफियाओं के प्रभुत्व को समाप्त करते हुए दुकानों के आवंटन में पूर्ण पारदर्शिता तथा निष्पक्षता लाने और आवंटन प्रक्रिया में मानव हस्तक्षेप समाप्त किये जाने, प्रक्रियाओं का सरलीकरण कर ईज आफ डूइंग बिजनेस एवं गुड गवर्नेन्स को बढ़ावा देने, धनराशियों का अंतरण डिजिटल माध्यम से कराये जाने, अवैध मदिरा के निर्माण विक्रय पर पूर्ण नियंत्रण किये जाने, राजस्व क्षति एवं चोरी को रोकते हुए विकासोन्मुख सरकारी परियोजनाओं के पर्याप्त वित्तपोषण हेतु अधिकतम राजस्व का अर्जन एवं आबकारी नीति को आकर्षक बनाते हुए मदिरा व्यवसाय को स्थायित्व प्रदान करने आदि उद्देश्यों के दृष्टिगत आबकारी नीति वर्ष 2024-25 प्रख्यापित की जा रही है।


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