लखनऊ,। आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय काउन्सिल ने केंद्र सरकार और विद्युत मंत्री पीयूष गोयल से मांग की है कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के दूरगामी परिणामों को देखते हुए केंद्र सरकार बिल को संसद में रखने और पारित कराने की जल्दबाजी न करे और इस बाबत आगे बढऩे से पहले बिजली इंजीनियरों ए कर्मचारियों एवं उपभोक्ताओं के साथ बिजली के क्षेत्र में विगत दो दशकों से किये जा रहे प्रयोगों पर विस्तृत वार्ता की जाए। फेडरेशन ने इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल की तैयारी का आह्वाहन किया है।
आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय काउन्सिल की देहरादून में हुई बैठक से आने के बाद फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने आज यहां बताया कि तथाकथित सुधारों के नाम पर विशेषज्ञों की राय के विपरीत विगत बीस सालों में देश के सभी बिजली बोर्डों का विघटन किया गया जिसका दुष्परिणाम यह है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 बनाने के समय बिजली बोर्डों का कुल घाटा जो 43000 करोड़ रु था वह अब बढ़ कर 8.1 लाख करोड़ पहुँच गया है। उन्होंने कहा कि पहले शहरों के लिए आर ए पी डी आर पी योजना थी और गाँव के लिए राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना जिनका नाम बदल कर अब आई पी डी एस और पं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना कर दिया गया है जिससे कोई परिवर्तन नहीं होने वाला है। इसी प्रकार बिजली वितरण कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए पिछली सरकार ने एफ आर पी वित्तीय पुनर्संरचना योजना द्ध लागू की थी जो विफल रही अब सरकार ने उदय योजना लागू की है जो एफ आर पी का ही नया नाम है। उन्होंने कहा कि नाम बदलने के बजाय नीति बदलने की ज़रुरत है। उदय की कामयाबी पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी अपनी ताज़ा रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की है। फेडरेशन का मत है कि इन योजनाओं से तबतक सार्थक परिणाम नहीं मिलेंगे जब तक बिजली इंजीनियरों और कर्मचारियों को विश्वास में नहीं लिया जाता। केंद्र सरकार इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल को जल्दबाजी में पारित कराने की कोशिश बंद करे और सुधारों के नाम पर अब तक किये गए प्रयोगों की उच्च स्तरीय समीक्षा की जाये जिसमे इंजीनियरों का भी प्रतिनिधित्व हो।
उन्होंने बताया कि फेडरेशन की राष्ट्रीय काउन्सिल ने यह भी तय किया है कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल की तैयारी की जाये जिसके क्रम में सारी यूनियनों के साथ मिलकर देशभर में सम्मलेन किये जाएंगे और आम जनता को इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के जरिये बिजली आपूर्ति को निजी घरानों को सौंपने की केंद्र सरकार की नीतियों से अवगत कराया जायेगा । उन्होंने बताया कि फेडरेशन ने यह भी निर्णय लिया है कि रिलायन्स को सासन परियोजना में बिडिंग के बाद बिजली दरें बढ़ाने की छूट और गलत तरीके से केंद्र द्वारा 31 मार्च को आदेश जारी करके 1050 करोड़ रु का बेजा मुनाफा देने जैसे घोटालों पर फेडरेशन श्वेत पत्र जारी करेगा । इसी प्रकार अदानी पावर और टाटा पावर को बिडिंग के बाद बिजली दरों में वृद्धि की छूट देने के मामले में भी श्वेत पत्र जारी किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि देश में बिजली उत्पादन की कुल क्षमता लगभग 298000 मेगावाट है जबकि अधिकतम मांग 147000 मेगावाट है फिर भी देश के 30 करोड़ लोग बिजली से वंचित हैं और जिनके पास बिजली है उन्हें भी भीषण गर्मी में बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है तो साफ़ है कि केंद्र और राज्यों की गलत ऊर्जा नीति का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है जिसके विरोध में बिजली इंजीनियर व्यापक जन जागरण अभियान चलाएंगे और बिजली के क्षेत्र में चल रहे मेगा घोटालों का खुलासा करेंगे यह निर्णय लिया गया है ।