समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लखनऊ में आज अपनी प्रेस कांफ्रेस में जैसे बचकाने बयान दिये हैं, उससे उनकी बुद्धि के स्तर का पता चलता है। बुन्देलखण्ड की भौगोलिक स्थिति से और मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा किये गए विकास और राहत कार्यो से भाजपा अध्यक्ष पूरी तरह अनजान है। प्रदेश को विकास कार्यो में मदद के बजाय समाजवादी सरकार पर दोषारोपण करना ‘‘उल्टा चोर कोतवाल’’ से ही जवाब तलबी करना ही हुआ है। भ्रष्टाचार का आरोप तो समाजवादी सरकार पर खुद उनके दल के नेता भी विधानसभा में नही लगा पाए हैं। लगे हाथ भाजपा अध्यक्ष अपनी राज्य सरकारों का ब्योरा भी देते तो स्पष्ट हो जाता कि वहाँ उत्तर प्रदेश के सापेक्ष कितना विकास हुआ है। गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भ्रष्टाचार की कहानियों से कौन अवगत नही है। इन राज्यों में किसानो और गरीबो की जो दुर्दशा है वह किसी से छिपी नही है।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार के विकास कार्यो के शानदार रिकार्ड से भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खेमो में घबराहट और बौखलाहट है। विधानसभा के अगामी चुनावों में उन्हें अपना कोई भविष्य नजर नही आ रहा है। ऐसे में वे अपने पुराने तौर-तरीकों अफवाहें फैलाने, चरित्रहनन और सापं्रदायिकता का जहर फैलाने पर उतर आए है। पिछले वर्षो में उन्होंने उत्तर प्रदेश में अशांति फैलाने की भरसक कुचेष्टांए की थी किन्तु जनसहयोग न मिलने और प्रशासन की सख्ती के कारण वे अपने कुत्सित इरादो में सफल नही हो सके थे।
जब भाजपा को श्री अखिलेश यादव की लोकप्रियता और स्वच्छ छवि के कारण कोई मुद्दा नही मिला तो वह प्रदेश में हो रहे विकास से ध्यान हटाने के लिए मथुरा और दादरी के मुद्दों को हवा देने लगे है। उससे अराजकता फैलाने की मंषा साफ जाहिर होती है। भाजपा के लोग बिना अनुमति पंचायत कर रहे हैं और कानून हाथ में लेने की धमकी दे रहे हैं। इस तरह वे प्रदेश को अपने उपद्रवों से अशांत बनाने की साजिश को अंजाम देना चाहते हैं।
भाजपा और बसपा के बीच भाई बहन का रिश्ता अटूट है। भाजपा और बसपा दोनो दलों का इरादा उत्तर प्रदेश को पिछड़ा प्रदेश बनाये रखने का ही है। इसके लिए वे यहाँ सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने में लगे हैं, इन्ही हरकतों को लक्ष्य कर मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने पहले ही कह दिया था कि यह ‘साजिशों का वर्ष’ है। इन साजिशकर्ताआें को याद रखना चाहिए कि प्रदेश में समाजवादी सरकार सांप्रदायिकता और पृथकतावादी प्रवृत्तियों को कतई बढ़ने नही देगी। वह इनसे सख्ती से निपटेगी, क्योंकि जनता के अमन चैन से खिलवाड़ करने की किसी को इजाजत नही दी जा सकती है। सामाजिक सद्भाव को तोड़ने की गुजरात की कहानी उत्तर प्रदेश मे नही दुहराई जा सकती है।