मुंबई : मुंबई में डांस बार्स को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने आज महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगा दी। दरअसल न्यायालय ने इस मामले में तर्क दिया कि मुंबई में डांस बार्स खुलने चाहिए। सड़कों पर भीख मांगने से अच्छा है कि महिलाएं स्टेज पर डांस कर अपना जीवनयापन करें। इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि सरकार को अश्लीलता रोकनी होगी मगर डांस बार में ऐसे नियम नहीं लगाए जा सकते जिससे डांस बार पर ही रोक लग जाए।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने अप्रत्यक्षतौर पर कहा कि यहां पर सीसीटीवी लगाने की बात भी सरकार इस तरह से कर रही है जैसे वह डांस बार खुलने नहीं देना चाहती है। इस तरह के नियम आरोपित नहीं किए जाने चाहिए।
न्यायालय का मानना था कि बार गर्लस को अपनी आजीविका चलाने देना चाहिए फिर सरकार यह भी तय नहीं कर पाती कि यहां पर आने वाले आपराधिक दायरे के हैं या नहीं। न्यायालय ने कहा कि जिस तरह का रवैया सरकार अपना रही है वह दर्शाता है कि सरकार के मन में डांस बार को प्रतिबंधित करने की बात है। सरकार बार के लाइसेंस जारी करने में लगी है, लेकिन डांस बार के लाइसेंस देने में कमियां भी की जा रही हैं।
सरकार द्वारा बार और होटल के लिए फायर का एनओसी भी दे दिया जबकि यह तय नहीं हुआ कि इनमें इस तरह की सुरक्षाओं को अपनाया जा रहा है या नहीं। इस मामले में सरकार से 10 मई तक जवाब मांगा गया है। महाराष्ट्र सरकार ने हलफनामा दाखिलकर सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि 115 डांस बार ने पुलिस के निरीक्षण के लिए आमंत्रण नहीं दिया गया। हालांकि 39 डांस बार्स का निरीक्षण किया गया जिसमें यह पाया गया कि डांस बार्स ने 26 शर्तों का पालन नहीं किया है।