असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु औऱ पुदुचेरी में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. पांच राज्यों में हुए चुनाव में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमुल कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया हो तो असम में पहली बार कमल खिला है. तमिलनाडु में जयललिता ने अपना कार्यकाल पांच वर्षों के लिए और बढ़ाने में सफल हुई तो केरल में लेफ्ट की वापसी हुई है. केरल और असम गवां चुकी कांग्रेस पुदुचेरी में वापसी करने में सफल रही. बंगाल में चला ममता का जादू साथ ही खिला कमल- पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही. एक तरफ जहां ममता ने शानदार जीत दर्ज की है तो दूसरी ओर बीजेपी के लिए चुनाव परिणाम खुशखबरी लेकर आई है. लेकिन लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन के लिए चुनाव परिणाम निराशाजनक रही. 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधनसभा चुनाव में ममता की नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को 211 सीटें मिली है. लोकसभा चुनाव में मिले वोट प्रतिशत को बरकरार रखते हुए बीजेपी को 6 सीटें मिली है. तो वही लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन के पास कुल 76 सीटें बची. जिसमें कांग्रेस के पास कांग्रेस को 44 और लेफ्ट के हिस्से में 26 सीटें आयी. 2011 विधानसभा चुनाव में तृममूल कांग्रेस को 184 सीटें मिली थी औऱ ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी थी। 2011 में अलग-अलग लड़े कांग्रेस और लेफ्ट के पास कुल मिलाकर 82 सीटें थी. जिसमें से काग्रेस के पास 42 और लेफ्ट के पाले में 40 सीटें आई थी। 2011 विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपना खाता खोलने में भी असफल रही थी.
असम हुआ कांग्रेस मुक्त, पहली बार होगी बीजेपी सरकार- दिल्ली और बंगाल में करारी हार के बाद असम बीजेपी के लिए राहत लेकर आई है. असम के इतिहास में पहली बार बीजेपी की नेतृत्व में सरकार बनने जा रही है. ज्ञात हो कि पिछले पंद्रह वर्षों से असम की सत्ता में काग्रेस काबिज थी औऱ तरुण गोगोई लगातार मुख्यमंत्री बने रहे. 126 विधानसभा सीट वाली असम में बीजेपी की नेतृत्व वाली एनडीए को 86 सीटें मिली है. जिसमें बीजेपी के खाते में अकेले 61 सीटें गई है. असम गण परिषद 14 औऱ वोडोलैंड पिपूल्स फ्रंट ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया. तो वही कांग्रेस के खाते में महज 26 सीटे गई है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास 79 तो बीजेपी के पास सिर्फ पांच सीटें थी. बीजेपी के जीत के साथ ही चुनाव में मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार औऱ केद्र सरकार में खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल असम के अगले मुख्यमंत्री होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन कर सोनोवाल को बधाई दी. प्रधानमंत्री नें ट्वीट कर असम का परिणाम अभूतपूर्व और ऐतिहासिक बताया. केंद्र की तरह असम में भी काग्रेस तकरीबन 60 वर्षों से राज्य की सत्ता में रही है.
तमिलनाडु में बरकरार रहा जयललिता का जादू- तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जयललिता का जादू बरकरार रहा. उनकी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक, एआईडीएमके) ने राज्य की 232 सीटों में से 132 पर जीत का परचम फहराया है. करुणानीधि के डीएमके को 99 सीटें मिली है. तमिलनाडु की कुल 234 विधानसभा सीटों में से 232 सीटों के लिए मतदान हुआ था. मतदाताओं को पैसे बांटे जाने की शिकायतों के बाद अरावाकुरिची और तंजावुर विधानसभा सीटों पर मतदान टाल दिया गया था. यहां 23 मई को मतदान होगा. साल 2011 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 203 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था. इसमें अन्नाद्रमुक को 150, डीएमडीके को 29, माकपा को 10 और भाकपा को नौ सीटें मिली थीं. दूसरी तरफ द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन को महज 31 सीटें ही मिली थीं. जिसमें द्रमुक को 23, कांग्रेस को पांच और पीएमके को तीन सीटें मिली थीं. 2011 की तुलना में जयललिता की एआईडीएमके के सीटों के आंकड़ो में कमी आई है लेकिन फिर भी जयललिता मुख्यमंत्री की कूर्सी बरकरार रखने में सफल रही है. ज्ञात हो कि जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के तौर पर छठी बार शपथ लेंगी.
केरल की सत्ता में लेफ्ट की वापसी केरल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर लेफ्ट ने वापसी की है. 140 सीटों वाली केरल विधनासभा में लेफ्ट गठबंधन को 88 सीटें मिली है. तो वहीं काग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए की झोली में 51 सीटें गई है. पश्चिम बंगाल में साथ-साथ लड़ने वाली कांग्रेस और लेफ्ट केरल में एक दूसरे के आमने सामने रही. लेफ्ट गठबंधन में सीपीआई, सीपीआई(एम), जेडीएस के साथ ही एनसीपी प्रमुख पार्टियां शामिल थी. वर्तमान में केरल में कांग्रेस की नेतृत्व में सरकार चल रही थी. 2011 में हुई विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 39, आईयूमएएल के 20, केरल कांग्रेस(एम) के 9 के अलावा अन्य को मिलाकर काग्रेस गठबंधन को 140 में से 73 सीटों पर जीत मिली थी. तो वहीं लेफ्ट गठबंधन के हिस्से में 67 सीटे आई थी.