नई दिल्ली। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आज ट्वीट कर Augusta वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर और Rafael डील पर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने दावा कि अगस्ता और राफेल स्कैम से जुड़े दो पत्रकारों से जल्द ही पूछताछ की जाएगी।
वहीं राफेल डील मामले में ईडी एक और जर्नलिस्ट की तलाश कर रहा है, जिसे पांच करोड़ रुपए मिले थे।
बता दें कि 3600 करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड डील स्कैम में पॉलिटिशयन, ब्यूरोक्रेट्स, नेवी अफसर के अलावा जर्नलिस्टस के भी नाम आ रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार जिन दो पत्रकारों पर इन घोटालों में शामिल होने का संदेह है, उनमें एक हैं आजतक न्यूज़ चैनल से जुड़े राजदीप सरदेसाई तथा दूसरी हैं महिला पत्रकार बरखा दत्त जो एनडीटीवी के लिए काम करती हैं।
उधर, केंद्र सरकार ने राफेल डील मामले में भी जांच के ऑर्डर दिए हैं।
ट्वीट में क्या खुलासा किया स्वामी ने
बीजेपी एमपी सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यह ट्वीट आज किया।
इसमें लिखा है- ‘एडब्ल्यू (अगस्ता वेस्टलैड) में पहले ‘पेड जर्नलिस्ट’ से पूछताछ की जाएगी।
इसके अलावा, ईडी उस जर्नलिस्ट की तलाश कर रहा है, जिसे राफेल से 5 करोड़ रुपए मिले थे।’
सूत्रों के मुताबिक दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने अगस्ता के बाद राफेल प्लेन डील के जांच के ऑर्डर दिए हैं। इसके अलावा पिलाटस एयरक्रॉफ्ट डील की जांच के ऑर्डर भी देने की खबर है।
जर्नलिस्ट का नाम क्यों आ रहा है?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अगस्ता वेस्टलैंड डील के एक बिचौलिया क्रिश्चियन मिशेल ने 2010 से 2012 के बीच इंडियन मीडिया को मैनेज किया था और इसके लिए करोड़ों रुपए दिए गये थे।
अगस्ता वेस्टलैंड की पैरेंट कंपनी फिनमैक्केनिका ने 2013 में इंडियन जर्नलिस्ट के एक ग्रुप को इनवाइट किया था। इस ट्रिप को मिशेल ने ही अरेंज किया था।
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई और ईडी इस ट्रिप में जाने वाले जर्नलिस्टस से पूछताछ की प्लानिंग कर रहा है।
क्या अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील मामला ?
यूपीए-1 सरकार के वक्त 2010 में इटली की कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से वीवीआईपी के लिए 12 हेलिकॉप्टरों की खरीद की डील हुई थी।
डील के तहत मिले 3 हेलिकॉप्टर आज भी दिल्ली के पालम एयरबेस पर खड़े हैं। इन्हें इस्तेमाल में नहीं लाया गया।
डील 3,600 करोड़ रुपए की थी। टोटल डील का 10% हिस्सा रिश्वत में देने की बात सामने आई थी। इसके बाद यूपीए सरकार ने फरवरी 2010 में डील रद्द कर दी थी।
तब एयरफोर्स चीफ रहे एसपी त्यागी समेत 13 लोगों पर केस दर्ज किया गया था।
जिस मीटिंग में हेलिकॉप्टर की कीमत तय की गई थी, उसमें यूपीए सरकार के कुछ मंत्री भी मौजूद थे। इस वजह से कांग्रेस पर भी सवाल उठे थे।
क्या है राफेल डील
भारत की फ्रांस के साथ 2012 से इस डील पर बात चल रही है। मनमोहन सरकार ने 2012 में 1.35 लाख करोड़ रु. में 126 राफेल खरीदने की पहल की। पर बात अटक गई।
इसके बाद मोदी सरकार ने पिछले साल अप्रैल में फ्रांस दौरे में 36 राफेल खरीदने का एलान किया। डील की लागत 59 हजार करोड़ रु. होने की बात हुई।
राफेल पर एमओयू साइन हो चुका है लेकिन रेट की वजह से यह डील फाइनल नहीं हो पाई।
फ्रांस जिस रेट में राफेल बेचना चाहता है, भारत उससे 20% कम कीमत में उसे खरीदना चाहता है।
ये तय हो गया कि हम 36 रफेल प्लेन जरूर खरीदेंगे। लागत 59 हजार करोड़ रु. आएगी।
इसके अलावा मोदी के दौरे के दौरान फ्रांस के साथ 13 और एग्रीमेंट भी किए गए थे।