बन्दूक के बल पर कश्मीर में नहीं चल सकता शासन : कांग्रेस


 

Azad

नई दिल्ली। राज्यसभा में सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन कश्मीर में अंशाति की स्थिति पर चर्चा की गई। कांग्रेस ने कश्मीर घाटी में फैली अंशाति के लिए भाजपा सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही पाकिस्तान पर भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया है। वहीं केंद्र सरकार ने सफाई देते हुए कश्मीर में लड़ाई को देश बनाम अलगाववादियों की लड़ाई करार दिया और पाकिस्तान पर घाटी में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।

राज्यसभा में सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने चर्चा के लिए नोटिस दिया हुआ था। चर्चा शुरू होते ही कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वर्तमान में कश्मीर की स्थिति बहुत खराब है। उन्हे दुख हो रहा है कि वहां की स्थिति देखने के बाद वह सदन में बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में पहले भी आतंकी मारे गए हैं, लेकिन ऐसे हालात कभी नहीं रहे। कश्मीर में 2008 से भी बुरे हालात हैं, 1990 में भी ऐसे हालात नहीं रहे।

उन्होंने कहा,”कश्मीर के लोगों को आज की सरकार पर भरोसा नहीं रह गया। भाजपा को कश्मीर में स्वीकृति मिलने में सालों लग जाएंगे। कश्मीर को लेकर मोदी सरकार की नीतियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “आप बन्दूक के बल पर कश्मीर में शासन नहीं चला सकते”। प्रदर्शनकारियों के ऊपर ‘पैलेट गन’ यानी छर्रे वाली बंदूक चलाने पर आजाद ने सरकार से सवाल किया कि हरियाणा में दंगों के दौरान पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं किया गया लेकिन घाटी में विरोध-प्रदर्शन के दौरान धड़ल्ले से लोगों पर इसका प्रयोग किया गया।

आजाद ने कहा, “आतंकवादियों और आम लोगों के साथ एक प्रकार का व्यवहार नहीं किया जा सकता। जिस प्रकार गोलियों का इस्तेमाल किया गया वह पहली बार है। आतंकवाद को खत्म करने के लिए जो हमने किया वह आप 50 साल तक में भी नहीं कर सकते हैं। आतंकियों और आम आदमी के बीच अंतर होना चाहिए। हम आतंकियों के खिलाफ जिस गोली का इस्तेमाल करते हैं क्या उसी गोली का इस्तेमाल बच्चों बूढ़ों और महिलाओं पर भी किया जाना चाहिए ? हम आतंकवाद से निपटने के लिए आपके साथ हैं लेकिन यदि आप इसी प्रकार का कृत्य करते रहे तो हम आपका साथ नहीं दे सकते, न ही हमारी पार्टी देगी। घाटी के सभी अस्पतालों में जख्‍मी भरे पड़े हुए हैं जो इस हिंसा का शिकार हुए हैं। इससे यह भी साबित होता है कि हमने कश्मीर में कोई सबक नहीं लिया है”।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस तरह का वातावरण 1990 में भी नहीं था। आज कश्‍मीर की हिंसा में मारे गए लोगों की संख्‍या 43 हो गई है। उनकी सरकार के समय आतंकियों के साथ सख्ती बरती गई, लेकिन जनता के साथ पैरंट्स जैसा बर्ताव किया गया। मीडिया पर भी निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आज कश्मीर में प्रेस, टेलिविजन, इंटरनेट बंद है, वह इसके हक में बिल्कुल नहीं हैं, प्रेस की आजादी होनी चाहिए लेकिन मीडिया कश्मीर में हिंसा को हवा दे रही है।

आजाद ने कहा, “हमारे लिए गौरव की बात है कि इंडोनेशिया के बाद सबसे अधिक मुसलमान भारत में हैं, लेकिन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के सदस्य यहां लगभग न के बराबर हैं। क्या यह राष्ट्रभक्ति नहीं है। भारतीय मुसलमानों को राष्ट्रभक्ति का और कौन सा सबूत पेश करना होगा। आजाद ने कहा कि जब राज्य में हमारा राज था या किसी दूसरी पार्टी का राज था तो भी इतनी हिंसा नहीं होती थी। सवाल करते हुए उन्होंने कहा कि क्या वजह है कि दस दिन कर्फ्यू रहने के बावजूद घाटी में माहौल ठंडा नहीं पड़ा। इसका मतलब है कि जख्म इतना गहरा हो गया है कि मामूली इलाज से कुछ नहीं हो रहा। मैं कश्मीर के लोगों को बधाई दूंगा कि वहां इस घटना ने सांप्रदायिक रंग नहीं लिया। पाकिस्तान को खरी खोटी सुनाते हुए आजाद ने कहा कि कश्मीर में मुसीबत की असल जड़ पाकिस्तान है। पाक लगातार भारत के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है और कश्मीर में अशांति फैला रहा है।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के बोलने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि कश्मीर घाटी की स्थिति बहुत ही गंभीर है। कश्मीर मसले पर हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देखना चाहिए और देश की भलाई के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि कश्मीर में लड़ाई किन्ही दो पार्टियों के बीच नहीं बल्कि देश बनाम अलगाववादियों के बीच की है।

उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक कश्मीर में बहुच अच्छा पर्यटन रहा। इससे देश में संदेश पहुंच रहा था कि वहां हालात सामान्य है। हजारों की संख्या में लोग आ जा रहे थे लेकिन सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में एक आतंकवादी के मरने के चलते घाटी में तनाव उत्पन्न हो गया। लोगों का प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों के खिलाफ है। मीडिया पर आजाद द्वारा लगाए गए आरोपों पर खंडन करते हुए जेटली ने कहा कि टेलीविजन में हुई बहस ने कश्मीर में हिंसा भड़काने का काम नहीं किया है।

प्रदर्शनकारियों के ऊपर ‘पैलेट गन’ चलाने पर सफाई देते हुए जेटली ने कहा कि जब विरोध प्रदर्शन हिंसक हो जाए और हर व्यक्ति सुरक्षा बलों पर जमकर पथराव करने लगे और जब हजारों की संख्या में लोग पुलिस चौकियों को जलाने लगे तो स्वाभाविक है कि ऐसी घटनाएं करने वालो के खिलाफ कोई न कोई कड़ी कार्रवाई तो होगी ही।


Scroll To Top
Translate »