मंहगी दूकान बन गए हैं यूपी के शिक्षा मंदिर: आप


 

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लखनऊ: आम आदमी पार्टी दिल्ली के प्रान्त संयोजक दिलीप पांडे ने लखनऊ में एक प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का मन्दिर कहे जाने वाले स्कूल यूपी में महंगी दुकानों के जैसे काम करते हैं |

उप्र सरकार उत्तम प्रदेश के वादे के साथ सत्ता में आई थी किन्तु शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर राज्य सरकार पूरी तरह से नाकारा साबित हुई है व शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारीयों को संरक्षण दे रही है |  उन्होंने बताया कि एक ओर जँहा दिल्ली सरकार ने शिक्षा की बेहतरी हेतु शिक्षा के बजट को दुगुना करते हुए सीधे सीधे 109% की बढ़ोत्तरी करते हुए 10690 cr किया है वही यूपी सरकार ने 25 करोड़ की आबादी वाले राज्य के लिए प्राथमिक शिक्षा के बजट में महज 9,977 cr प्रस्तावित किये थे |

दिल्ली सरकार ने इस वार्षिक बजट में 1 साल में 8000 नए क्लास रूम बनाने का निर्णय लिया है जबकि यूपी जैसे बड़े राज्य में महज 7000 नए क्लास रूम बंनाने का प्रावधान किया है । उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यशैली से ऐसा लग रहा है कि नए क्लास रूम बनवाने के बजट का भी 80% हिस्सा भ्रष्टाचार की  भेट चढ जायेगा |  उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार 200 शिक्षकों को हार्वड, कैम्ब्रिज जैसी यूनिवर्सिटी में लीडरशिप की ट्रेनिग के लिए भेज रहे है जिसके लिए दिल्ली सरकार ने 102 cr का बजट जारी किया है जबकि यूपी में लीडरशिप की ट्रेनिग का कोई इंतजाम नही है क्योकि उत्तर प्रदेश के मुखिया की यह नीयत ही नही है कि उत्तर  प्रदेश के लोगों को कम पैसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले |

उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी राज्य के विकास का मानदंड वंहा कि ऊँची ऊँची इमारते नहीं बल्कि वंहा के नागरिको को मिलने वाली शिक्षा व स्वास्थ्य के स्तर से तय होता है|

उत्तर प्रदेश प्रदेश प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने शिक्षा में एक नियामक आयोग गठित करने की मांग यूपी सरकार से की थी, AAP ज्वाइंट डायरेक्टर को इस सम्बन्ध में ज्ञापन भी सौपा था, JD द्वारा इस विषय में संज्ञान लेने हेतु 23 अप्रैल तक का समय दिया गया था जिसपर अभी तक कोई भी कदम नही उठाया गया है। ऐसे में पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि वह निदेशक माध्यमिक शिक्षा का घेराव करेगी | उन्होंने बताया कि फीस नियंत्रण संबंधी 2009 के एक शासनादेश पर अमल के लिए पार्टी हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएगी।

पार्टी में शिक्षा सुधार पर काम कर  रहे घनश्याम श्रीवास्तव ने बताया कि निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने  जून 2009 में एक आदेश जारी किया था जिसमे अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों की फीस व उसके मदों पर नियंत्रण करने कि बात थी लेकिन षड्यंत्र के तहत निजी स्कूलों के प्रबंध तंत्र ने कोर्ट में झूठे तथ्यों को रख कर उस आदेश पर स्टे ले लिया था जिसमे आगे कि पैरवी सरकार को करनी थी 6 साल गुजर गये लेकिन 25 करोड़ की आबादी से जुड़े विषय पर सरकार ने कोई पैरवी नहीं की, सरकार बस जनता से टैक्स ले रही है | यही सरकार यादव सिंह के घोटाले की जाँच ना हो इसके लिए सुप्रीमकोर्ट  चली गई थी लेकिन नौनिहालों की शिक्षा के लिए इस सरकार ने कुछ नहीं किया |


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