समाजवादी पार्टी में 50 से अधिक उम्मीदवार बदलने की तैयारी


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लखनऊ. विधानसभा चुनाव 2017 के लिए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की पहली सूची आने के बाद से पूरे प्रदेश में खलबली मच गई है। घोषित प्रत्याशियोंके विरोध में जगह-जगह धरना प्रदर्शन हो रहा है। सपा कार्याकर्ताओं का विरोध जिलों से निकलकर सपा मुख्यालय तक पहुंच गया है। बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव 144 घोषित प्रत्याशियों में बड़े बदलाव पर विचार कर रहे हैं। सपा सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व 40 से 50 उम्मीदवार बदल सकता है।
बता दें कि बीते 25 मार्च को सपा के प्रमुख प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने 143 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी। इसी दिन दो प्रत्याशी बदल दिए गए थे। सहारनपुर की रामपुर मनिहारन सीट पर तो नया प्रत्याशी घोषित कर दिया था लेकिन मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर शाहनवाज राणा का टिकट बदलकर नए प्रत्याशी की घोषणा रोक दी गई थी। दो दिन बाद मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को लखनऊ कैंट से प्रत्याशी घोषित किया गया। 6 अप्रैल को सपा ने दो नए प्रत्याशी घोषित किए और चार प्रत्याशी बदल दिए। जिन चार सीटों पर प्रत्याशी बदले हैं, उनमें एक पर उम्मीदवार की घोषणा बाद में की जाएगी। इस तरह सपा ने 2012 की हारी हुई सीटों पर कुल 144 प्रत्याशी घोषित किए हैं।
जिन जिलों में प्रत्याशी घोषित किए गए हैं वहीं के पदाधिकारी सपा के उम्मीदवारों का विरोध कर रहे है। कहीं टिकट देते वक्त पार्टी के प्रति निष्ठा का ध्यान न रखने का आरोप लगाया जा रहा है तो कहीं जिताऊ दावेदारों की अनदेखी की शिकायत है। कई सीटों पर ऐसे लोगों को उम्मीदवार बना दिया गया है जिनके खिलाफ पंचायत चुनाव में कार्रवाई हो चुकी है। पिछली बार चुनाव लड़ने वाले कुछ दावेदारों का टिकट कटने से भी पदाधिकारियों में नाराजगी है। कुछ जगह सपा के वरिष्ठ नेता और कई मंत्री अपने जिलों में समीकरण के मुताबिक टिकट न मिलने से नाखुश बताए जा रहे हैं।
नखुश पदाधिकारी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, रामगोपाल यादव और शिवपाल सिंह यादव तक अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कई सीटों पर उम्मीदवारों के बदलाव के पक्ष में हैं। उन्हें टिकटों को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। उनके विदेश दौरे से लौटने का इंतजार किया जा रहा है, लौटने के बाद प्रत्याशियों में बड़े फेरबदल की तैयारी है।
वाराणसी में सपा की गुटबंदी मुखर कर सामने आ गई है, शिवपुर सीट से प्रत्याशी बनाए गए अरविंद मौर्य के जगह-जगह पुतले फूंके जा चुके हैं। युवा नेता आशुतोष सिन्हा सपा मुखिया के सामने वाराणसी शहर, कैंट, उत्तर और दक्षिण सीटों पर घोषित प्रत्याशियों पर पुनर्विचार का आग्रह कर चुके हैं। इसी तरह यूपी के कई और जिलों में भी उम्मीदवारों का मुखर विरोध जारी है।
अपनी शिकायत दर्ज कराने राजधानी आए बागपत के सपा जिला उपाध्यक्ष मास्टर सौधान सिंह का कहना है कि वह पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। पहले भी दो बार टिकट मांग चुके हैं। चार साल से वह क्षेत्र में सक्रिय हैं लेकिन पार्टी ने छपरौली से तराबुद्दीन को टिकट दे दिया। इसको लेकर क्षेत्र में विरोध हो रहा है। सौधान जैसे तमाम नेता सपा मुखिया या उचित फोरम तक शिकायत दर्ज करा रहे हैं। जो अपनी बात नहीं पहुंचा पा रहे हैं वे प्रदेश सचिव एसआरएस यादव को अपनी पीड़ा सुना रहे हैं। पार्टी नेतृत्व तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कई लोगों ने पत्र लिखकर भी अपना पक्ष रखा है।
पहली सूची जारी करने के बाद सपा मुख्यालय पर भीड़ बढ़ गई है। टिकट के दावेदारों में पूर्वांचल के लोग अधिक दिख रहे हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को सबसे ज्यादा कामयाबी पूर्वांचल में ही मिली थी। इसलिए वहां से पुराने के साथ नए दावेदार भी अपने-अपने स्तर से जुगाड़ लगा कर नेताजी से मीटिंग कर दावेदारी पेश कर रहे हैं। बुंदेलखंड व पश्चिमी यूपी के दावेदार भी सक्रिय हैं। पश्चिमी यूपी के ज्यादातर दावेदार रामगोपाल और शिवपाल के पास चक्कर लगा रहे हैं।

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