लखनऊ. उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी :सपा: ने राज्यसभा और प्रदेश विधान परिषद के आगामी चुनाव के लिए आज ‘सर्वसम्मति’ से तय किये गये अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिये. इनमें हाल में सपा में वापस आये पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के अलावा अमर सिंह तथा बिल्डर संजय सेठ भी शामिल हैं. सपा ने राज्यसभा के लिए 7 नामों की घोषणा की है जिसमें बेनी प्रसाद वर्मा और अमर सिंह का नाम शामिल है. बेनी प्रसाद वर्मा शुक्रवार को सपा में फिर शामिल हुए. सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने इन नामों की घोषणा की.
सपा के मुख्य प्रांतीय प्रवक्ता वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने आज यहां संवाददाताओं को बताया कि पार्टी की केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में राज्यसभा तथा विधान परिषद चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन किया गया.
उन्होंने बताया कि बोर्ड ने बेनी प्रसाद वर्मा, अमर सिंह, संजय सेठ, रेवती रमण सिंह, सुखराम सिंह यादव, विशम्भर प्रसाद निषाद तथा अरविंद प्रताप सिंह को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा बलराम यादव, शतरुद्ध प्रकाश, जसवंत सिंह, बुक्कल नवाब, रामसुंदर दास निषाद, जगजीवन प्रसाद, रणविजय सिंह तथा कमलेश पाठक विधान परिषद चुनाव में सपा के उम्मीदवार होंगे.
इनमें से संजय सेठ, रणविजय सिंह और कमलेश पाठक के नाम विधान परिषद के मनोनयन कोटे के तहत अनुमोदन के लिए राज्यपाल राम नाईक के पास भेजे गये थे, जिन्हें उन्होंने कुछ विशेष कारण बताते हुए नामंजूर कर दिया था.
अमर सिंह के नाम पर बोर्ड के कुछ सदस्यों द्वारा आपत्ति किये जाने की खबर पर यादव ने कहा कि कहीं कोई विरोध दर्ज नहीं कराया गया. राज्यसभा और विधान परिषद के लिए घोषित सभी नाम सर्वसम्मति से तय किये गये हैं.
मालूम हो कि बोर्ड के सदस्य सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव और प्रदेश के वरिष्ठ काबीना मंत्री आजम खां अमर सिंह के मुखर विरोधी रहे हैं.
राज्यसभा भेजे जाने के मद्देनजर अमर सिंह की सपा में वापसी के सवाल पर यादव ने कहा कि इस बारे में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव कोई निर्णय लेंगे. वैसे, सपा ने कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और पीएल पुनिया को भी राज्यसभा पहुंचाने में मदद की थी.
बहरहाल, राज्यसभा का अधिकृत प्रत्याशी बनाये जाने के बाद अमर सिंह की सपा में वापसी मात्र औपचारिकता की बात रह गयी है.
सिंह की करीबी मानी जाने वाली पूर्व सांसद जया प्रदा की सपा में वापसी के सवाल पर यादव ने कहा कि यह समय तय करेगा.
उन्होंने कहा कि संसदीय बोर्ड में बहुत सोच-समझकर प्रत्याशियों के नाम तय किये हैं. इससे सपा को और मजबूती मिलेगी.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में 11 राज्यसभा और 13 विधान परिषद सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव जून में होंगे.
राज्यसभा पहुंचने के लिए किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को 37 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा. विधान परिषद के मामले में यह संख्या 32 होगी. राज्यसभा और विधान परिषद की वे सीटें क्रमश: चार जुलाई और छह जुलाई को रिक्त हो जाएंगी.
प्रदेश की 403 सदस्यीय राज्य विधानसभा मेें अलग-अलग राजनीतिक दलों की स्थिति देखें तो सपा के 227 विधायक हैं. उसके छह उम्मीदवार राज्यसभा पहुंच सकते हैं. इसी तरह बसपा के दो, भाजपा का एक उम्मीदवार राज्यसभा जा सकता है.
इसी तरह विधान परिषद में सपा, बसपा और भाजपा को क्रमश: सात, दो और एक सीट हासिल हो सकेगी.
कांग्रेस के 29 विधायक हैं. ऐसे में उसे निर्दलीय या पीस पार्टी एवं रालोद जैसी छोटी पार्टियों से समर्थन हासिल करना पड़ सकता है.
गौरतलब है कि सपा ने 2010 में अमर सिंह को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद सिंह ने 2011 में राष्ट्रीय लोक मंच नाम से अपनी पार्टी बनाई. हालांकि, उनकी पार्टी ने 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. लोकसभा चुनाव 2014 में अमर सिंह राष्ट्रीय लोक दल में शामिल हो गए और फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़े और इस चुनाव में वह हार गए.
बीते दिनों अमर सिंह कई बार मुलायम सिंह यादव से मिल चुके हैं और उन्हें सपा के कार्यक्रमों में अकसर देखा जाता रहा है. सपा प्रमुख से मुलाकात के बाद से ही सपा में सिंह की वापसी को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं.