माइक्रो प्लास्टिक पर प्रतिबंध को लेकर एनजीटी ने केन्द्र से मांगा जवाब


 

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दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने कॉस्मेटिक और शारीरिक देखभाल के उत्पादों में इस्तेमाल किए जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि माइक्रो प्लास्टिक का इस्तेमाल जलीय जीवन और पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है।

एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की पीठ ने इस मामले में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय को सुनवाई के लिए 18 अप्रैल को जवाब देने को कहा है।

याचिका की सुनवाई के दौरान पीठ ने वकील समीर सोढी से पूछा कि क्या यह मामला औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन कानून के तहत आता है? पीठ ने उनसे यह भी पूछा कि यह मामला अधिकरण के अधिकार क्षेत्र में कैसे आता है? सवाल पर वकील ने जवाब दिया कि माइक्रोप्लास्टिक दरअसल प्लास्टिक या फाइबर के वे टुकड़े हैं, जो आकार में बहुत छोटे होते हैं और संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्टों के अनुसार, ये जलीय जीवन और पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं।

याचिका में माइक्रो प्लास्टिक पर प्रतिबंध की मांग याचिका में विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों और निजी देखभाल के उत्पादों के निर्माण, आयात, बिक्री में माइक्रोबीड्स या माइक्रो प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है और साथ ही इसका पालन करने में विफल रहकर पर्यावरण प्रदूषित करने वाली कंपनियों पर जुर्माना लगाने की भी मांग की गई है।

क्या है माइक्रो प्लास्टिक? माइक्रोप्लास्टिक पांच मिलीमीटर से भी कम आकार के प्लास्टिक या फाइबर के टुकड़े होते हैं। निजी देखभाल के उत्पादों में पाए जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक या माइक्रोबीड्स हमेशा एक मिलीमीटर से भी छोटे होते हैं।


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