
विभिन्न औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों तथा राज्य सरकार के विभागीय अधिकारिेयों को सम्बोधित करते हुये श्री गुप्ता ने बताया कि राज्य के सिंगल विण्डो सिस्टम, निवेश मित्र का शीघ्र ही उच्चीकरण करते हुये आॅन लाइन एकीकृत आवेदन पत्र के माध्यम से विभिन्न स्वीकृतियाॅ आॅन लाइन ही जारी करने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही सभी प्रकार के शुल्क भुगतान इन्टरनेट गेट-वे के माध्यम से एक ही बार में किये जा सकेगें।
उन्होंने उद्योग बन्धु को निर्देश दिये कि इस सम्बन्ध में जनपद व मण्डल स्तरीय अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ-साथ औद्योगिक संगठनों को विशेष पहल कर समस्याओं के समाधान के लिये जिलाधिकारी/मण्डलायुक्त से परस्पर समन्वय बनाये रखें। इस सम्बन्ध में जागरुकता के दृष्टिगत कार्यशालाएं आयोजित की जाएं।
इसके पूर्व वाणिज्य कर, श्रम, पर्यावरण, ऊर्जा विभाग द्वारा उद्योगों को स्वीकृतियाॅ जारी करने के लिये प्रक्रियाओं के सरलीकरण के सम्बन्ध में उठाये गये कदमों पर प्रस्तुतिकरण किये गये।
कमिश्नर, वाणिज्य कर श्री मृत्युंजय कुमार ने बताया कि एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया के तहत सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुये कर विभाग के सभी क्रियाकलापों को पूर्ण रूप से आॅन लाइन कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कर विभाग की ई-सेवाओं के अन्तर्गत 3,40,654 उद्यमियों ने पंजीकरण कराया। उन्होंने कहा कि ई-रजिस्ट्रेशन, ई-संचरण, ई-पेमेन्ट, ई-रिटर्न आदि के अतिरिक्त अब आॅन लाइन रिफण्ड की सुविधा भी उपलब्ध करा दी गयी है। ऐसे उद्यमी जो किसी कारणवश इन्टरनेट का उपयोग नहीं कर सकते उनके लिये विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में 300 से अधिक काॅमर्शियल टैक्स केन्द्रों की स्थापना की गयी है।
निदेशक वितरण, उ.प्र. पावर कारपोरेशन लि. श्री के.एम. मित्तल ने बताया कि उद्यमियों को विद्युत संयोजन शीघ्रता से उपलब्ध कराये जाने हेतु 3000 केवीए तक के विद्युत भार स्वीकृत करने का अधिकार अधिशासी अभियन्ता तथा 3000 के.वीए. से अधिक विद्युत भार स्वीकृत अब प्रबन्ध निदेशक के स्थान पर मुख्य अभियन्ता को अधिकृत कर दिया गया है। उन्होने बताया कि अब विद्युत संयोजन हेतु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही विद्युत संयोजन के लिये आवश्यक संलग्नकों की संख्या को न्यूनतम करते हुये 2 कर दिया गया है। विद्युत संयोजन हेतु आवेदन, जो कि आॅन लाइन किये जा सकते है, पर आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के अन्दर अवमुक्त करने के निर्देश दिये गये। चले कि पहले यह अवधि 30 दिन निर्धारित थी।
प्रमुख सचिव, श्री अरुन कुमार सिन्हा ने बताया कि उनका विभाग उद्यमियों, श्रमिक संगठनों के साथ त्रिपक्षीय विचार-विमर्श कर, दोनो पक्षों के हितों को ध्यान में रख कर लगभग 7 श्रम अधिनियमों में संशोेधन पर कार्य किया है तथा विभाग की सेवाओं को आॅन लाइन करने हेतु पोर्टल को प्रारम्भ किया जा चुका है। इस पोर्टल के माध्यम से उद्योग कम्बाइन्ड रिटर्न तथा आवश्यक शुल्क आॅन लाइन जमा कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अधिकारी ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से अवगत कराया कि प्रदूषण विभाग द्वारा जारी रेड, आॅरेन्ज एवं ग्रीन कैटेगेरी के उद्येागों को कन्सेन्ट फाॅर स्टैब्लिश पहले क्रमशः 1 वर्ष, 3 वर्ष एवं 5 वर्ष दी जाती थी वह अब क्रमशः उद्यमी की इच्छा पर 5, 10 एवं 15 वर्ष के लिये प्रदान किये जाने का निर्णय लिया गया। यह भी बताया गया कि 220 प्रकार के उद्योगों के अतिरिक्त सौर ऊर्जा परियोजनाओं को भी प्रदषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता नही। उक्त के अतिरिक्त ऐसी श्रेणी के उद्योगों जिनको अनापत्ति प्राप्त करने के लिये मुख्यालय से अनुमति प्राप्त करनी होती थी, को क्षेत्रीय अधिकारियों को अनुमति प्रदान करने के लिये अधिकृत कर दिया गया है।
राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में उठाये गये कदमों की सराहना करते हुये फिक्की, सी.आई.आई., एसोचैम, उ.प्र., पी.एच.डी.चैम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज तथा आई.आई.ए. आदि औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया तथा औद्योगिक संगठनों द्वारा दिये गये सुझावों में प्रमुख रूप से विभिन्न निरीक्षणों को एक ही बार में कराये जाने, अपेक्षित सुधारों को लागू करने के लिये शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रशिक्षण द्वारा क्षमता वृद्धि, एम.एस.एम.ई. उद्यमों के लिये एक पृथक शिकायत निवारण प्रणाली की व्यवस्था सम्मिलित थे।
सेमिनार में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के प्रमुख सचिव श्री सुधीर गर्ग, नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री रमा रमण, आयुक्त एवं निदेशक उद्योग श्री एल. वेकटेंश्वर लू, विशेष सचिव, औद्योगिक विकास श्रीमती कंचन वर्मा सहित विभिन्न विभागों तथा उद्योग बन्धु द्वारा प्रतिभाग किया गया।
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