लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से आज राजभवन में 161 प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों ने भेंट की। प्रशिक्षु अधिकारियों का 2013 बैच का दल न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्र्रम में सम्मिलित होने आया था। भेंटवार्ता का कार्यक्र्रम न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित किया गया था। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक महबूब अली, राज्यपाल के विधि परामर्शी श्री एस0एस0 उपाध्याय, अपर विधि परामर्शी कामेश शुक्ल सहित संस्थान के अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश की यंत्रणा संविधान के आधार पर खड़ी है। भारतीय लोकतंत्र के तीन स्तम्भ विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका हैं। संविधान और संविधान के आधार पर बने कानून का ज्ञान आवश्यक है। अंतःकरण में यह भाव हो कि आप न्याय देने के लिए आये हैं। जिस भावना से याची न्यायालय जाता है उसी भावना से न्याय देना आपकी जिम्मेदारी है। निष्पक्षता, पूरे संतुलन और योग्य समय पर निर्णय ही न्यायिक अधिकारी की पहचान है। आपको अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता अर्जित कर संविधान के अंतर्गत न्याय के लिए कार्य करना है। संविधान, विधि को परिभाषित करने में शब्दशः उसी भाव व आत्मा का पालन होना चाहिए जो संविधान में निहित है। उन्होंने कहा कि लोगों का न्यायालय में अटूट विश्वास है।
श्री नाईक ने कहा कि न्याय की गरिमा व उच्च आदर्शों को जीवन का ध्येय बनायें। न्याय उपलब्ध कराने के लिए लीक से हटकर विचार करें। न्यायिक प्रक्रिया में स्वाध्याय और अन्य न्यायालयों के फैसलों की अद्यतन जानकारी रखना जरूरी है। गरीबों के प्रति न्याय दिलाने में संवेदनशीलता का ध्यान रखें। न्याय उपलब्ध कराने में अपने विवेक का भी प्रयोग करें। निर्णय करने में न ही बहुत जल्दबाजी हो और न्याय करने में ज्यादा समय न लगें। मन की शुद्धता एवं निष्पक्षता से सभी पक्षों को सुनकर सही निर्णय लें। आज की स्थिति को देखते हुए कमियों को दूर करके जनता का विश्वास जीतें। उन्होंने कहा कि इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जनतांत्रिक देश में अन्याय के खिलाफ न्यायालय आने वाले को पूरा न्याय मिले।
राज्यपाल ने कहा कि राजभवन एक महत्वपूर्ण संस्था है जिसे संविधान के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। उन्होंने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से उत्तर प्रदेश का राज्यपाल मनोनीत होने के बाद अपनी पहली भेट का जिक्र भी किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने उन्हें चलते समय ‘भारत का संविधान‘ की एक प्रति भेंट करते हुए कहा कि ‘अब आपको इसी के अनुसार काम करना हैं।‘ अपनी राज्य में संविधान के अनुरूप काम हो इसे देखने की जिम्मेदारी राज्यपाल की होती है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का दायित्व संविधान के अनुरूप ही कार्य करना होता है।
इस अवसर पर प्रशिक्षु अधिकारियों ने प्रशिक्षण के अपने अनुभव और विचारों को भी साझा किया। कार्यक्र्रम में निदेशक श्री महबूब अली ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा विधि परामर्शी श्री राज्यपाल श्री एस0एस0 उपाध्याय ने प्रशिक्षण का संक्षिप्त परिचय दिया।