भारतीय आर्थिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों ने राष्‍ट्रपति से मुलाकात की


 

The President, Shri Pranab Mukherjee with the Officer Trainees of the Indian Economic Service of 2014 (II) Batch, at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on May 10, 2016. The Secretary, Department of Economic Affairs, Shri Shaktikanta Das and the Chief Economic Adviser, Dr. Arvind Subramanian are also seen.

नई  दिल्ली|  भारतीय आर्थिक सेवा 2014 (II) के प्रशिक्षु अधिकारियों ने आज राष्‍ट्रपति भवन में राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि वे जिस सेवा में शामिल हुए हैं उसमें उन्‍हें अनेक वर्षों तक जनता और देश की सेवा करने का अवसर मिलेगा। उन्‍हें नीतियों के निर्माण में राजनीतिज्ञों को परामर्श देना होगा। मुख्‍य आर्थिक सलाहकार के पद पर आमतौर पर किसी निपुण अर्थशास्‍त्री को ही तैनात किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण आपकी सोच और उद्देश्‍य की स्‍पष्‍टता का एक बहुत प्रशंसित दस्‍तावेज होता है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत ने क्‍या अर्जित किया है और वह क्‍या अर्जित करने की आशा रखता है उसके बारे में उन्‍हें बहुत गर्व है। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में अनेक उतार-चढ़ाव आए हैं। 1950-51 से 1979 तक भारत की औसत विकास दर 3.5 प्रतिशत रही जिससे हिन्‍दू विकास दर कहा जाता था। हमारी अर्थव्‍यवस्‍था 1980 के दशक में औसत रूप से बढ़कर 5 से 5.6 प्रतिशत हुई। 1991 के बाद हमारी विकास दर बढ़कर 7 प्रतिशत के औसत पर पहुंची।

हमारी वर्तमान विकास दर लगभग 7.6 प्रतिशत है, लेकिन इससे हमें संतुष्‍ट नहीं होना चाहिए। हमें अगले 15 से 20 वर्षों के लिए अपनी विकास दर को बढ़ाकर 8.5 से 9 प्रतिशत वार्षिक करना होगा तभी हम अपने विकास लक्ष्‍यों को अर्जित कर सकते हैं, इससे हम गरीबी उन्‍मूलन में सफल हो जाएंगे।

राष्‍ट्रपति ने युवा अधिकारियों से कहा कि आपसे बहुत उम्‍मीद है और आपके युवा कंधों पर भारी जिम्‍मेदारी है। विश्‍व तेजी से विकास कर रहा है और भारत को उसके साथ तालमेल रखना होगा। उपलब्‍ध समय कम है लेकिन भारत की ताकत उसके शक्तिशाली मस्तिष्‍क में है। भारत को नीति तैयार करने में मार्गदर्शन के लिए बहुत सक्षम और ज्ञानवान अधिकारियों की जरूरत है। उन्‍होंने युवा अधिकारियों से पूछा कि वे किस तरह का परिवर्तन चाहते हैं, उन्‍होंने महात्‍मा गांधी के इन शब्‍दों का उल्‍लेख किया कि आपने जो सबसे गरीब और सबसे कमजोर आदमी का चेहरा देखा है उनका स्‍मरण करके अपने आप से यह पूछें कि जो कदम आप उठाने जा रहे हैं क्‍या वह उनके किसी काम का है।


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