लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने आज लोक सभा में पेश किए गए केन्द्रीय बजट 2016-17 को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि बजट में ग्रामीणों के लिए कुछ खास व्यवस्था नहीं की गई है। केन्द्रीय बजट को किसानों के लिए फायदेमन्द बनाया जाना चाहिए था। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे सहित प्रदेश की अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी जरूरतों के लिए भी बजट में कोई व्यवस्था नहीं की गई है। उन्होंने बजट को गरीब विरोधी तथा दिशाहीन बताया है।
मुख्यमंत्री ने आज यहां केन्द्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बजट में कुछ नया नहीं है। राज्य सरकार ने गोरखपुर में एम्स स्थापित करने के लिए निःशुल्क जमीन की व्यवस्था की। साथ ही, बिजली देने का भी निर्णय लिया। लेकिन केन्द्रीय बजट में इसके लिए धनराशि का प्राविधान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल मंे स्थापित होने वाले इस एम्स से आस-पास के जनपदों तथा बिहार व नेपाल के मरीजों को भी लाभ मिलेगा।
श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अपने संसाधनों से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का निर्माण कर रही है। जो इस वर्ष के अन्त तक चालू हो जाएगा। इसके साथ ही, ‘समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’ का निर्माण किया जाएगा, जिसके लिए राज्य सरकार ने अपने बजट में 1500 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इसके बन जाने से पूर्वांचल आर्थिक विकास होगा। इसके अलावा, बड़ी संख्या में सड़कों एवं सेतुओं का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को राज्य की जरूरतों के मुताबिक केन्द्रीय बजट में धनराशि का प्राविधान नहीं किया गया है। इस तरह से उत्तर प्रदेश के हितों की अनदेखी की गई है।
श्री यादव ने कहा कि किसानों, नौजवानों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों, कमजोर वर्गांें तथा महिलाओं के लिए कोई नयी योजना पेश नहीं की गयी है। उन्होंने बजट को आँकड़ों की बाजीगरी बताते हुए कहा है कि इससे आम आदमी के जीवन में कोई गुणात्मक बदलाव नहीं आएगा। बजट से सरकारी कर्मचारियों को भी काफी निराशा हुई है। आयकर में कोई छूट न देने से छोटे कर्मी भी इसके दायरे में आएंगे। पुरानी पेंशन व्यवस्था को भी बहाल नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय बजट को किसान और नौजवान विरोधी बताते हुए कहा कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। साथ ही, बुन्देलखण्ड तथा पूर्वांचल के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कोई दीर्घकालिक रणनीति अथवा निधि का जिक्र नहीं किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार बेमौसम बरसात तथा ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को अपने सीमित संसाधनों से अधिक से अधिक भरपाई की। इसके साथ ही, वर्ष 2015-16 को किसान वर्ष घोषित करते हुए किसानों को तमाम सहूलियतें प्रदान की। वित्तीय वर्ष 2016-17 को भी ‘किसान वर्ष’ और ‘युवा वर्ष’ घोषित किया गया है।
श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में देश की सर्वाधिक आबादी रहती है। राज्य ने केन्द्र की सत्ताधारी पार्टी को लोक सभा के लिए 71 सांसद दिए हैं। प्रधानमंत्री का भी निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश में ही है। इसके बावजूद केन्द्रीय बजट में राज्य के विकास के लिए दूरगामी रणनीति नहीं बनायी गई और न ही बजट में कोई विशेष व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि बजट में कई योजनाओं के माध्यम से राज्य सरकारों पर आर्थिक बोझ डालने का प्रयास किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने इस बजट को किसानों का बजट बताया है। लेकिन किसानों के जीवन में बदलाव के लिए बजट में कोई स्पष्ट दृष्टिकोण का उल्लेख नहीं किया गया है। इसी तरह कालाधन वापस लाने के बारे मंे भी बजट में कोई नयी बात नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बजट में विभिन्न योजनाओं के लिए भारी-भरकम धनराशि का प्राविधान किया गया है, लेकिन इसके लिए पैसा कहाँ से आएगा, इसके बारे में नहीं बताया गया है।
श्री यादव ने कहा कि कृषक हमारे देश की अर्थव्यवस्था तथा खाद्य सुरक्षा की रीढ़ है। इस सच्चाई को जानने के बाद भी किसानों के लिए किसी खास राहत का प्राविधान नहीं किया गया है। किसान और सिंचाई राज्य का विषय है। इस मामले में केन्द्र सरकार घोषणाएं कर सकती हैं। इन योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य सरकारों को करना पड़ता है। बजट में इसके क्रियान्वयन हेतु आवश्यक संसाधन जुटाने के बारे में कोई संकेत नहीं दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में बेरोजगारी एक गम्भीर समस्या है। उत्तर प्रदेश सरकार के समक्ष सभी युवाओं को रोजगार देना एक चुनौती है। इसके बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने पूंजी निवेश, सरकारी तथा निजी सहयोग से अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार करके युवाओं को रोजगार के अवसर दे रही है। इसके साथ ही, सरकारी विभागों में खाली पदों को भरा जा रहा है। केन्द्रीय बजट 2016-17 में केन्द्र सरकार के मंत्रालयों में रिक्त पदों पर भर्तियों के बारे में कोई चर्चा नहीं की गई है। इससे देश के युवाओं में घोर निराशा हुई है।
श्री यादव ने कहा कि केन्द्रीय बजट मंे कई वस्तुओं को महंगा किया गया है, जिससे मध्यम वर्ग के लोगों पर काफी भार पड़ेगा। रेल, वायु सेवा को महंगा किए जाने से यात्रियों को अपनी जेब और ढीली करनी पड़ेगी। इसके अलावा कृषि, ग्रामीण, सामाजिक, शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार सृजन, अर्थव्यवस्था, ढांचागत क्षेत्र मंे निवेश, वित्तीय सुधार, सरल कारोबारी माहौल तथा वित्तीय अनुशासन पर जोर तो दिया गया है। लेकिन इसकी दिशा स्पष्ट नहीं की गई है। इस तरह यह बजट पूरी तरह दिशाहीन एवं गरीब विरोधी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट से पूर्व उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश की जरूरतों के मुताबिक केन्द्रीय बजट में प्राविधान किए जाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बजट 2016-17 में उत्तर प्रदेश के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत आवश्यक धनराशि का प्राविधान किए जाने का भी अनुरोध किया था।
श्री जेटली को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए श्री यादव ने कहा है कि ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों की अवशेष राहत राशि, पूर्वांचल समाजवादी एक्सप्रेस-वे, कानपुर और वाराणसी मेट्रो रेल, हिरन गांव (फिरोजाबाद) और जेवर में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए केन्द्रीय बजट में आवश्यक धनराशि के प्राविधान के साथ-साथ केन्द्रीय बजट में भी बुन्देलखण्ड और पूर्वांचल निधि की व्यवस्था का अनुरोध किया गया था।
श्री यादव ने कहा कि इन योजनाओं के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्री से केन्द्रीय बजट में आवश्यक धनराशि का प्राविधान करने के अनुरोध के बावजूद इन महत्वपूर्ण जरूरतों के लिए केन्द्रीय बजट में प्राविधान नहीं किया गया है। इस तरह केन्द्रीय बजट जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा है। प्रदेशवासियों को इस बजट से निराशा हुई है।