विजय माल्या के किंगफिशर हाउस को नहीं मिला खरीदार


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मुंबई | किंगफिशर एयरलाइंस की संपत्ति बेचकर कर्ज उगाही करने की कोशिशों को करारा झटका लगा है. गुरुवार को मुंबई स्थित किंगफिशयर एयरलाइंस के हेडक्वार्टर किंगफिशर हाउस की नीलामी की जानी थी लेकिन उसे कोई खरीदार नहीं मिला है.

सूत्रों के मुताबिक अधिक कीमत होने की वजह से किसी खरीदार ने किंगफिशर हाउस की बोली नहीं लगाई. बैंकों का समूह जब्त की गई किंगफिशर की संपत्ति को नीलाम कर अपने कर्ज को वसूलने की कोशिश कर रहे हैं.

किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए कर्ज में सबसे ज्यादा कर्ज स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का है. किंगफिशर एयरलाइंस पर 17 बैंकों के समूह का करीब 7,000 करोड़ रुपये बकाया है जिसमें सबसे ज्यादा 1,600 करोड़ रुपये का कर्ज भारतीय स्टेट बैंक का है. हालांकि माल्या का दावा है कि बैंक इसमें से करीब 1,200 करोड़ रुपये की रकम वसूल चुके हैं.

150 करोड़ रुपये से शुरू होगी नीलामी

मुंबई के डोमेस्टिक एयरपोर्ट के निकट बना किंगफिशर हाउस 17,000 वर्गफुट में फैला हुआ है और इसकी नीलामी एसबीआईकैप ट्रस्टी कर रही है जो एसबीआई कैप्स की सब्सिडियरी हैै.

बैंक ई-ऑक्शन के जरिये किंगफिशर एयरलाइंस की नीलामी कर रहे हैं. नीलामी की शुरुआत 150 करोड़ रुपये की रकम से होगी.

2015 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 17 बैंकों के समूह ने किंगफिशर हाउस को कब्जे में ले लिया था ताकि इसे बेचकर माल्या को दिए गए कर्ज की उगाही की जा सके. बैंकों ने इसके साथ ही कर्ज की पूरी रकम वसूलने की प्रक्रिया भी तेज कर दी है.

2015 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 17 बैंकों के समूह ने किंगफिशर हाउस को कब्जे में ले लिया था

बढ़ते कर्ज और नकदी नहीं होने की वजह से 2012 में किंगफिशयर एयरलाइंस को अपना काम रोकना पड़ा था. बैंकों ने किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए कर्ज की उगाही के लिए कंपनी के प्रमोटर विजय माल्या को शिकंजे में कसना शुरू कर दिया है.

बैंकों को इस कवायद में सरकार का भी साथ मिल रहा है. हाल ही में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में विजय माल्या के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

एजेंसी इसके अलावा किंगफिशर एयरलाइंस के पूरे वित्तीय लेन-देन की भी जांच कर रही है. वहीं एसएफआईओ (गंभीर धोखाधड़ी जांच विभाग) भी कंपनी के ब्रांड वैल्यूएशन को बढ़ा चढ़ाकर दिखाए जाने के मामले की जांच कर रहा है.

सरकार पर दबाव

वहीं दूसरी तरफ सरकार भी विलफुल डिफॉल्टर (जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले) के खिलाफ कानून बनाए जाने पर विचार कर रही है. सरकार ऐसे डिफॉल्टर्स के खिलाफ आपराधिक कानून लाने की योजना पर विचार कर रही है.

कानून बनने के बाद विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलेगा. साथ ही लोन चुकाने के लिए डेडलाइन भी तय की जाएगी ताकि डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल में मामले को जल्द निपटाया जा सके.

सरकार कानून में ऐसा प्रावधान भी रखने पर विचार कर रही है जिसके तहत बैंक कर्ज बाकी रहने की स्थिति में कंपनी में 30 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी ले सकेंगे. आरबीआई के नए प्रावधान के मुताबिक डिफॉल्ट की स्थिति में बैंक कंपनी में अधिकतम हिस्सेदारी ले सकते हैं लेकिन मौजूदा कानून में 30 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी लेने का प्रावधान नहीं है.

विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाए जाने की लंबे समय से मांग की जाती रही है लेकिन निवेशकों के भाग जाने की आशंका की वजह से सरकार समय-समय पर इससे हाथ पीछे खीचती रही है.


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