उपभोक्ता परिषद का सवाल क्यो नही दे रहे 5919 करोड बकाया


 

rr54637yts (27)निजी घरानों
को मिल रहा भुगतान फिर उत्पादन निगम को क्यों नही?

लखनऊ । उ.प्र. राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा अपने उत्पादन गृहों अनपरा ए, अनपरा बी, ओबरा ए, ओबरा बी, पनकी, हरदुआगंज, परीक्षा, अनपारा डी के लिये नियामक आयोग में दाखिल याचिका वर्ष 2010-11 से वर्ष 2013-14 के ट्र-अप व मल्टी इयर टैरिफ वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 टैरिफ रेग्यूलेशन 2014 के सम्बन्ध में आज उ. प्र. विद्युत नियामक आयोग में आम जनता की सुनवाई सम्पन्न हुयी आयेाग सभागार में सम्पन्न सुनवाई में नियामक आयोग के चेयरमैन देश दीपक वर्मा सदस्यगण आई बी पाण्डेय व एस के अग्रवाल, सचिव संजय श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक अभिषेक श्रीवास्तव की उपस्थित में सम्पन्न हुयी जिसमें प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का पक्ष उ.प्र.राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा व उत्पादन निगम के निदेशक, तकनीकी मुरलीधर भाग चन्दानी व निदेशक कार्मिक बी एस तिवारी सहित पावर कारपोरेशन व उत्पादन निगम के अनेकों मुख्य अभियन्ता व अन्य अभियन्ता सुनवाई में उपस्थित थे।

सुनवाई में उपभोक्ताओं का पक्ष रखते हुये उ.प्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्पादन निगम जो प्रदेश केा सस्ती बिजली पैदा कर उपलब्ध करा रहा है निश्चित ही उसका फायदा प्रदेश की जनता को मिलता है। ऐसे मेें नियामक आयोग सहित सभी का नैतिक दायित्व है कि वह उत्पादन निगम की स्थिति पर विशेष ध्यान दे। वर्तमान में पावर कारपोरेशन पर 31 मार्च 2015 तक लगभग 5919 करोड रुपये उत्पादन निगम का बकाया है जिससे उत्पादन निगम अपने जरूरी खर्च व लोन की अदायगी न कर पाने की वजह से परेशानी में है। यदि इसपर ध्यान न दिया गया तो धीरे धीरे उत्पादन निगम सिक होता जायेगा और भविष्य मेें उसका फायदा निजी घरानों को मिलेगा। चैंकाने वाला मामला यह है कि निजी घराने समय से अपना भुगतान ले लेते हैं। ऐसे में आयेाग पावर कारपोरशन को निर्देश दे कि वह उत्पादन निगम का बकाया अदा करे। वर्तमान में वर्ष 2015-16 पर नजर डालें तो उत्पादन निगम से जो कुल बिजली खरीद होनी है वह लगभग 32 हजार 126 मिलियन यूनिट है जिसकी कुल औसत खरीद दर रुपये 3.82 प्रति यूनिट है जो निजी घरानों व अन्य श्रोतों से खरीद की जा रही रू0 5.50 प्रति यूनिट से रुपये 6 प्रति यूनिट बिजली से बहुत सस्ती है। उपभोक्तापरिषद द्वारा उत्पादन निगम के ट्र-अप में लगभग 861 करोड रू0 को छोडा जाना निश्चित ही उचित कदम बताया और कहा कि उत्पादन निगम ने अपने अनुरक्षण में बचत कर एक बडा कदम उठाया है। भविष्य में इसका लाभ प्रदेश की जनता केा मिलेगा, लेकिन उत्पादन निगम द्वारा तेलध्कोयला के अनावश्यक खर्च पर जवाबदेही भी आयेाग द्वारा तय की जानी चाहिये। इस पर प्रतिबंध लगने से बिजली दर और कम होगी।

उपभोक्ता परिषद द्वारा अनपारा डी पर सवाल करते हुये यह मांग उठायी गयी कि अनपरा डी की कुल कैपिटल कास्ट 7027 करोड है और आज ठीक से चल भी नही पा रही है ऐसे मे बीएचएल व उत्पादन निगम के उच्च प्रबन्धन को आयेाग बुलाकर उनके लिये एक समय सीमा तय करे। आज यह कहा जा रहा है कि अनपरा डी की यूनिट नं. 6 मार्च अखिरी तक आयेगी और यूनिट नं. 7 फरवरी के अन्त में आयेगी। इसकी क्या गारण्टी है लम्बे समय से उदघाटन के बाद मशीनें बंद हैं जो अपने आप मेे चिन्ता का विषय है। मार्च 2016 तक अनपरा डी की आईडीसी ही केवल 2162 करोड है जो बहुत ही ज्यादा है।

आयेाग अध्यक्ष देश दीपक वर्मा द्वारा सुनवाई मे अनपरा डी पर सख्ती दिखाते हुये यह कहा गया कि जल्द ही बीएचएल व उत्पादन निगम के उच्च अधिकारियेां की बैठक आयेाग बुलायेगा और हर पहलू की जानकारी लेते हुये उन्हें अविलम्ब सही उत्पादन गृह चलाने का निर्देश देगा। साथ ही आयेाग द्वारा उत्पादन निगम व पावर कारपोरेशन को 15 दिन के अन्दर सभी जवाब फाइल करने का निर्देश भी दिया। और उपभोक्त्ता परिषद की मांग पर यह भी कहा कि उपभोक्ता परिषद चाहे तो वह भी अपनी लिखित आपत्तिध्सुझाव 7 दिन में आयेाग को दे सकता है।


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