नई दिल्ली : देश में जल्द ही देशद्रोह का कानून बदल सकता है। इसके लिए मोदी सरकार देशद्रोह कानून की धारा 124(ए) की समीक्षा कर रही है। कानून मंत्रालय ने लॉ कमीशन से अपील की है कि आईपीसी की धारा 124(ए) का गहन अध्ययन किया जाए।
दिसंबर 2014 में भी लॉ कमीशन ने कहा था कि देशद्रोह के कानून में बदलाव लाने के लिए उऩ्होने कुछ प्रमुख बिंदुओं को चिन्हित किया है। सदन ने पिछले सप्ताह ही कांग्रेस के सांसद शशि थरुर द्वारा दी गई अर्जी को कबूल कर लिया था, जिसमें कहा गया था कि देशद्रोह के कानून में संसोधन की जरुरत है।
थरुर ने कहा था कि इसमें कोई शक नहीं है कि जेएनयू की घटना ने देश का ध्यान देशद्रोह की ओर खींचा है। यह भी मुमकिन है इस घटना के बाद लोगों की राय और अधिक कठोर हो जाए, लेकिन इस घटना ने देशद्रोह के कानून के दुरुपयोग की ओऱ भी ध्यान केंद्रित कराया है।
थरुर ने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा था कि ब्रिटिश हुकुमत के दौरान महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक जैसे स्वतंत्रता सेनानियों पर भी देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था।