नई दिल्ली : संसद में सुचारू कामकाज और सार्थक चर्चा की पुरजोर वकालत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की कई पहल की सराहना की। साथ ही महिला दिवस पर संसद में केवल महिला सदस्यों को बोलने देने, एक दिन पहली बार चुने गए सांसदों को बोलने, किसी शनिवार को टिकाऊ विकास लक्ष्य जैसे विषयों पर चर्चा करने जैसे सुझाव दिये।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में संसद में सुचारू कामकाज की चर्चा की। राष्ट्रपति सबसे बड़े संवैधानिक पद पर हैं, हमारे बड़े हैं, हमें अपने बड़ों की सलाह माननी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने इन दिनों में कई अच्छी पहल की है। इनमें एसआरआई एक अच्छा प्रकल्प चल रहा है। मोदी ने कहा, ‘स्पीकर ने देशभर की विधानसभाओं की महिला विधायकों का एक सम्मेलन रखा है। यह 5 और 6 मार्च को रखा गया है। इसमें सभी दलों की महिला सांसदों एवं नेताओं ने पूरा सहयोग दिया है। यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।’ उन्होंने कहा कि लेकिन क्या हम यह तय कर सकते हैं कि 8 मार्च को महिला दिवस पर सदन में केवल महिला सांसद ही बोले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम यह कहें कि आप ऐसे थे, हम ऐसे हैं, एक दूसरे के बारे में बाते करें, तू-तू मैं-मैं करें, हमने ये किया, आपने ये किया..लेकिन देश को सब पता है, हम कहां खड़े हैं, लोगों को सब पता है। संसद में निर्वाध कामकाज और सार्थक चर्चा की वकालत करते हुए मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा कि संसद सर्वोच्च संस्था है, भारत में शासन की जिम्मेदारी लेकर हम यहां आए हैं, यह जिम्मेदारी सौभाग्य की बात है, देश की बड़ी जनसंख्या और लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए नियति ने सौभाग्य प्रदान किया है। जिस नियति ने इसके लिए यहां बुलाया है, उसे महसूस किया है। हम इसके लिए पांच वर्ष इतिहास के किनारे खड़े न रहें बल्कि इतिहास रचने का काम करें।
संसद में सार्थक चर्चा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि संयुक्त राष्ट्र ने टिकाऊ विकास लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बारे में क्या हम राजनीति से परे हटकर चर्चा नहीं कर सकते। मोदी ने कहा कि क्या किसी शनिवार के दिन हम बैठक कर इस पर चर्चा नहीं कर सकते। पर्यावरण के विषय पर हम काम कर रहे, सीओपी21 में हमने विषय उठाये। पानी हमारे समक्ष बड़ी समस्या है और हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है। क्या हम इस पर चर्चा कर सकते हैं। मोदी ने यह भी सुझाव दिया कि सप्ताह में एक दिन केवल पहली बार चुनकर आये सांसदों को बोलने का मौका दिया जाए।
उन्होंने कहा कि यह सरकार हो या वह सरकार.. लेकिन प्राथमिक शिक्षा का स्तर हमारे लिये चिंता का विषय है। अगर हम अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देंगे तब हम क्या करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बात है जिसके बारे में हम सब बात करते हैं, न्याय में देरी, न्याय नहीं देने के समान है। निचली अदालतों में लंबित मामले हमारे लिये चिंता का विषय हैं बीजद के तथागत सथपति के सुझाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है। क्या हम अगले छह महीने में ऐसे मुद्दों पर गुणवत्तापूर्ण चर्चा कर सकते हैं। विशेषज्ञों की सलाह लेकर और हमारे संसद में विद्वान एवं अनुभवी सदस्यों की राय के साथ क्या कोई ऐसी रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं जिससे न केवल सरकार को बल्कि संसद को फायदा हो।
उन्होंने कहा, ‘संसद इस ईर्ष्या भाव से काम करने के लिए नहीं है कि तेरी शर्ट मेरी शर्ट से सफेद कैसे? सरकार की आलोचला इसलिए नहीं हो रही है कि हमने कुछ गलत किया है बल्कि इसलिए हो रही है कि जो काम इतने वर्षों में नहीं हुआ, वह हम कैसे कर पा रहे हैं।’ मोदी ने कहा कि वह बुद्धिजीवियों से अपील करते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय शुरू की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी योजना का तुलनात्मक अध्ययन पेश करें।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में जहां परिसंपत्ति का निर्माण हुआ वहीं मनरेगा में गढ्ढे खोदने और उसे भरने का काम हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अब मनरेगा के जरिए भी राष्ट्रीय परिसंपत्ति बनाने का प्रयास कर रही है।