नई दिल्ली: अपनी आज़ादी की सालगिरह पर पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर के मुद्दे को हवा देने की कोशिश की है. पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने देश के नाम अपने संदेश में कहा कि इस साल की जश्न ए आज़ादी को हम कश्मीर की आज़ादी के नाम करते हैं. नवाज शरीफ के इसी बयान को भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने दोहराया. नई दिल्ली स्थित उच्चायोग में पाकिस्तानी झंडा फहराने के बाद के अपने संदेश में बासित ने यह भी कहा कि किसी भी आज़ादी की लड़ाई को ताक़त से दबाया नहीं जा सकता और कश्मीर की आज़ादी की लड़ाई भी एक दिन रंग लाएगी.
उच्चायुक्त को देश वापिस भेजा जाए
बासित के इस बयान के बाद प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार से कार्रवाई की मांग की है. पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ‘एक दूत की तरफ से इस तरह का बयान आपत्तिजनक है. अब देश की जनता 56 इंच वाली सरकार की तरफ देख रही है कि ऐसा बयान देने वाले उच्चायुक्त को अपने देश वापस भेजने के लिए वो क्या करती है. बासित को पर्सन नॉन ग्राटा घोषित कर देना चाहिए.’
भारत सरकार या विदेश मंत्रालय की तरफ बासित के बयान पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है. हालांकि विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान की उस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें पाकिस्तान ने कश्मीर में राहत सामग्री भेजने का प्रस्ताव रखा था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्त विकास स्वरूप ने अपने कड़े बयान में कहा है कि पाकिस्तान से भारत और इस क्षेत्र के देशों को आतंकवाद, सीमापार घुसैपैठ, नशीले पदार्थों की तस्करी आदि के तौर पर बहुत कुछ मिल चुका है. पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की तरफ से इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग को 12 अगस्त को चिठ्ठी मिली थी जिसमें कश्मीर को मदद भेजने की बात की गई थी. इस तरह की मांग बेतुकी है.