भारत की उम्मीदों पर फिरा पानी, उम्मीदों के दरवाजे बंद


 

2014_12image_18_43_519982000modi-ll (1)

सियोल: न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप (एनएसजी) में चीन समेत सात देशों के भारत का समर्थन नहीं करने के बाद फिलहाल भारत के लिए इसके दरवाजे बंद हो गए हैं। हालांकि समूह के ज्यादातर देश भारत की सदस्यता के समर्थन में थे। चीन के विरोध ने भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अब इसमें शामिल होने के बाद भारत को फिर से कवायद करनी होगी।

शुक्रवार को खत्म हुई बैैठक के बाद 48 देशों के समूह की ओर से जारी बयान में कहा गया कि वह उन देशों की भागीदारी पर विचार करना जारी रखेगा जिन्होंने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। बयान में कहा गया है कि समूह ने भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग संबंधी बयान 2008 के सभी पहलुओं पर सूचना को साझा किया तथा भारत के साथ एनएसजी के रिश्तों पर विचार विमर्श किया। बैठक में भाग लेने वाले देशों ने एनपीटी को अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की धुरी बताते हुए इसके पूर्ण और प्रभावी तरीके से लागू करने की बात दोहराई।

2017-18 की कमान स्विटजरलैंड के हाथों में
एनएसजी में यह भी फैसला किया गया कि साल 2017-18 के लिए एनएसजी की कमान स्विटजरलैंड के हाथों में रहेगी। वही अगली बैठक की मेजबानी करेगा। एनएसजी ने ऐसे देशों की संख्या में इजाफे का भी स्वागत किया जिन्होंने अपनी राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था को एनएसजी के दिशानिर्देशों और नियंत्रण सूची के समान बनाया है।

स्वीट्जरलैंड वादे से पलटा
-ब्राजील ने भारत के परमाणु रिकॉर्ड को बेहतर बताते हुए अपना समर्थन देने की बात कही।
-स्वीट्जरलैंड ने भारत की दावेदारी का पुरजोर विरोध किया। हालांकि, पीएम मोदी की यात्रा के दौरान स्वीट्जरलैंड ने समर्थन की बात कही थी।
-चीन ने साफ कर दिया कि वह किसी भी कीमत पर भारत की दावेदारी का समर्थन नहीं करने जा रहा।
-चीन ने भारत की तुलना नॉर्थ कोरिया से करते हुए कहा, ‘भारत को एनएसजी में सदस्यता का समर्थन करना एक तरह से नॉर्थ कोरिया की परमाणु की स्थिति के लिए उसे माफ करना है।’

मोदी की कोशिश नाकाम
-इस बीच पीएम मोदी ने गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से ताशकंद में मुलाकात की।
-पीएम ने जिनपिंग से कहा, भारत के पक्ष में बनती आम सहमति के साथ चीन को जुड़ना चाहिए।
-लेकिन चीन ने जवाब दिया, कि अगर एनएसजी की सदस्यता में कोई अपवाद जोड़े गए तो ये दक्षिण एशिया में शक्ति का संतुलन बिगड़ सकता है।

ये देश कर रहे विरोध
भारत की एनएसजी सदस्यता के विरोध में चीन, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रिया, तुर्की, आयरलैंड, ब्राज़ील, स्विट्ज़रलैंड हैं।

इससे पहले चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने बताया, कि ‘नियम उन देशों को एनएसजी सदस्य बनने की इजाजत नहीं देता है जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किए हैं। इसलिए किसी भी देश को इस मामले में छूट नहीं दी जा सकती है।’


Scroll To Top
Translate »