दिल्ली|केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने जलवायु परिवर्तन में कमी से जुड़ी दीर्घकालिक योजना के एक हिस्से के रूप में विद्यार्थियों के बीच सतत प्रथाएं विकसित करने पर विशेष जोर दिया है। आज नई दिल्ली में ‘पेरिस सम्मेलन के बाद जलवायु परिवर्तन से जुड़ी कार्रवाई’ पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री की अगुवाई में भारत द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की बात दोहराई, जिसके बिना पेरिस समझौते में आम सहमति असंभव थी।
उन्होंने सतत प्रथाओं और निम्न कार्बन वाली जीवन शैली को अपनाते हुए विद्यार्थियों को इनसे अवगत कराने और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील बनाने में एचआरडी की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय पेरिस समझौते में किये गये वादों को पूरा करने की दिशा में योगदान देने के लिए इस पहलू पर विशेष जोर देगा।
उन्होंने हमारे नवीकरणीय लक्ष्यों को बढ़ाने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी गतिशील नेतृत्व की सराहना की, जिसने जलवायु परिवर्तन से जुड़े विचार-विमर्श में भारत की बातचीत के भाव में अहम परिवर्तन ला दिया। उन्होंने कहा कि शर्तों का विरोध करने की शैली अपनाने के बजाय हमने वैकल्पिक फार्मूलों का प्रस्ताव करने की तरफ कदम बढ़ाया और भारत ने आगे बढ़कर नेतृत्व किया। अनेक दूरदर्शी कदमों जैसे कि कोयला उपकर, मोटो-उत्सर्जक पर कर की तरह ग्रीन टैक्स, उजाला योजना, एथनॉल का सम्मिश्रण इत्यादि को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने अगुवाई की है और विश्व को इसका अवश्य ही अनुसरण करना चाहिए, ताकि प्रतिबद्धताओं को साकार किया जा सके। हमारे प्रधानमंत्री द्वारा रचित नई गाथा ‘सौर गठबंधन’ का हिस्सा बनने के लिए विश्व भर के देश प्रयासरत हैं।
उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय में अपने उत्तराधिकारी श्री अनिल दवे पर पूरा भरोसा व्यक्त किया है, जो खुद भी एक भावुक पर्यावरणविद् हैं। उन्होंने आईएनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर अभीष्ट निर्धारित योगदान) से जुड़ी प्रतिबद्धताओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए उद्योगों एवं सभी क्षेत्रों का आह्वान भी किया। उन्होंने विकास के लिए समन्वित अनुसंधान एवं कार्रवाई (आईआरएडीई) द्वारा आयोजित सम्मेलन में उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा जलवायु परिवर्तन से जुड़ी कार्रवाइयों पर रचनात्मक बहस में समुचित योगदान किये जाने की कामना की।