खुलासा: नरसिंह राव के आदेश पर हुई थी सोनिया गांधी की जासूसी


 

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नई दिल्ली: कांग्रेस के प्रधानमंत्री रहे नरसिंह राव के आदेश पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की जासूसी की गई. ये चौंकाने वाला खुलासा दो दिन बाद प्रकाशित होने वाली एक किताब में किया गया है.

7 दिसंबर 1992 यानी अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाए जाने के अगले ही दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने आईबी के जासूसों को एक आदेश दिया था. इस आदेश में सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ पर नज़र रखने को कहा गया.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ये चौंकाने वाला खुलासा विनय सीतापति की किताब  Half-Lion: How P V Narasimha Rao Transformed India में किया गया है.

किताब के मुताबिक सोनिया गांधी के घर तैनात आईबी के जासूसों से ये बताने को कहा गया था कि कांग्रेस के कौन-कौन से नेता सोनिया गांधी से बातचीत में नरसिंह राव का विरोध कर रहे हैं.

किताब के मुताबिक, नरसिंह राव को आईबी ने इस बारे में एक लिखित रिपोर्ट दी, जिसमें बताया गया कि सोनिया गांधी से बातचीत के दौरान अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, अजीत जोगी, सलामतुल्ला और अहमद पटेल ने अयोध्या के हालात से निपटने के प्रधानमंत्री के तरीके पर नाराज़गी ज़ाहिर की है.

किताब के मुताबिक, नरसिंह राव ने साल 1995 में भी आईबी से सोनिया गांधी की जासूसी करवाई. उस वक्त आईबी से ये बताने को कहा गया कि कांग्रेस में कौन 10 जनपथ यानी सोनिया गांधी का समर्थक है और कौन हाई कमांड यानी खुद नरसिंह राव का.

किताब के मुताबिक, नरसिंह राव के आदेश पर आईबी ने इस बार भी उन्हें तमाम नेताओं के बारे में ये जानकारी बाकायदा एक लिस्ट की शक्ल में लिखकर दी. मिसाल के तौर पर आईबी की इस लिस्ट में लिखा था.

मणिशंकर अय्यर – राज्य – तमिलनाडु, जाति – ब्राह्मण, उम्र 52 साल, 10 जनपथ समर्थक, अयोध्या मुद्दे पर प्रधानमंत्री के आलोचक.

मार्गरेट अल्वा, कर्नाटक, ईसाई, उम्र 53 साल, हाई कमांड (यानी राव) समर्थक.

आईबी ने इस दस्तावेज में ये सुझाव भी दिया कि किन-किन नेताओं को सरकार या पार्टी संगठन में महत्वपूर्ण पद दिए जा सकते हैं. किताब में बताया गया है कि नरसिंह राव ने 7 दिसंबर 1992 को यानी अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के अगले दिन भी सोनिया गांधी के घर पर आईबी के जासूस लगाए.

लेखक विनय सीतापति के मुताबिक उनकी किताब में जो जानकारी दी गई है वो नरसिंह राव के उन तमाम निजी दस्तावेजों पर आधारित है, जिन्हें देखने का उन्हें मौका मिला. इसके अलावा उन्होंने इस बारे में सौ से ज्यादा लोगों से बातचीत भी की है.

किताब में ये दावा भी किया गया है कि जब नरसिंह राव ने आईबी के जरिये सोनिया गांधी की जासूसी करवाई तो सोनिया गांधी भी खामोश नहीं रहीं. उस दौरान सोनिया ने भी पार्टी में अपने वफादार नेताओं के जरिये हमेशा नरसिंह राव पर नज़र रखी.


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