काशी में बिगड़ी सोनिया की तबीयत, रोड शो बीच में छोड़ दिल्ली वापस


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वाराणसी  |  उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी में जान फूंकने के उद्देश्य में मैदान में उतरीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तबीयत अचानक बिगड़ गई। सोनिया गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक मेगा रोड शो के जरिए कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच पहुंची थीं लेकिन बीच रोड शो में ही उनकी तबीयत खराब हो गई।

कांग्रेस अध्यक्षा कुछ देर के लिए रोड शो रोककर लहुराबीर के पास मॉडर्न होटल में आराम करने रुकीं लेकिन बाद में जब उन्हें राहत नहीं मिली तो वे रोड शो को बीच में ही छोड़कर दिल्ली रवाना गयी । उन्हें रोड शो के बाद एक जनसभा को भी संबोधित करना था लेकिन सोनिया के चले जाने से इस रोड शो को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर और यूपी की सीएम कैंडीडेट शीला दीक्षित ही संबोधित किया। सोनिया का काशी विश्वनाथ के मंदिर जाने का भी कार्यक्रम था लेकिन वे वहां भी नहीं जा पाईं।

इससे पहले सोनिया ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर के साथ रोड शो शुरू किया। यह रोड शो कचहरी स्थित अंबेडकर पार्क से पंडित कमलापति त्रिपाठी पार्क तक गया।

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सोनिया के साथ मुख्यमंत्री उम्मीदवार शीला दीक्षित और पार्टी के पूर्व सांसद पीएल पुनिया जैसे कई दिग्गज मौजूद रहे। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत वाराणसी से करने के पार्टी के फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुली चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह सोनिया का पहला वाराणसी दौरा है।

इस यात्रा के दौरान राज्य में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित, एआईसीसी के महासचिव गुलाम नबी आजाद, यूपीसीसी के प्रमुख राज बब्बर, पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी और संजय सिंह उनके साथ थे। कांग्रेस ने वाराणसी में विकास की कमी को रेखांकित करने के लिए ‘दर्द-ए-बनारस’ अभियान शुरू किया है। मोदी पिछले दो साल से लोकसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

कांग्रेस पिछले 27 साल से उत्तरप्रदेश में सत्ता से बाहर है। ‘27 साल यूपी बेहाल’ नामक प्रचार के दौरान वह कह रही है कि राज्य की स्थिति पिछले 27 साल में बद से बदतर हो गई है। वाराणसी को पूर्वी उत्तरप्रदेश इलाके में खासा अहम माना जाता है। राज्य की 403 सीटों में से लगभग 160 क्षेत्र पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही आते हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ दो ही सीटें- अमेठी और रायबरेली जीती थीं।
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भी जमीन बना देंगे। कांग्रेस विधानसभा चुनाव में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मदद ले रही है। किशोर इससे पहले लोकसभा चुनाव में मोदी के और बिहार विधानसभा चुनाव में नीतिश कुमार के रणनीतिकार थे।


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