साल 2000 से लेकर 2017 तक केमन आइसलैंड से देश में आठ हजार तीन सौ करोड़ रुपये की एफडीआई आई है, जबकि अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक आठ हजार तीन सौ करोड़ रुपया आ जाता है। जयराम रमेश ने आरबीआई से इस मामले की जांच कराने की मांग की है। जयराम ने कहा था, जीएनवाई एशिया की इस एफडीआई में डोभाल की क्या भूमिका रही है, वे बताएं। यह मामला सीधे तौर पर भ्रष्टाचार से जुड़ा है।
कांग्रेस का कहना था कि खुद अजीत डोभाल ने 2011 में यह मांग की थी कि टेक्स हेवन देशों में जमा राशि की मॉनीटरिंग होनी चाहिए। उन्होंने इसके लिए फाइनेंशियल इंटेलीजेंस एजेंसी की मदद लेने की भी बात कही थी। आज वे सत्ता में हैं, लेकिन अपनी इस मांग को पूरा नहीं कर रहे हैं। डोभाल को यह बताना होगा कि 12 माह में इतनी ज्यादा एफडीआई कैसे आ गई, जो 17 साल में कभी नहीं आ सकी। ये सब बातें आरबीआई की रिपोर्ट में दर्ज हैं।
रमेश ने कहा था कि जीएनवाई एशिया के दो निदेशक हैं। एक विवेक डोभाल और दूसरे डॉन डब्लू ई-बैंकस। ये नाम पनामा पेपर और पैराडाइज में भी देखे गए हैं। डोभाल के दोनों बेटों विवेक और शौर्य डोभाल के पास ही ज्यूस स्ट्रेटजिक मेनेजमेंट एडवाइजर का फंड भी है। डोभाल बताएं कि जीएनवाई और ज्सूस का क्या रिश्ता है।