लखनऊ | विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहें स्वामी प्रसाद मौर्य और बसपा महसचिव आरके चौधरी के पार्टी से बगावत करने के बाद बसपा सुप्रीमों मायावती ने यूपी चुनाव को ध्यान में रखकर पार्टी के अंदर फेरबदल करने शुरू कर दिए हैं। पार्टी में मचे उथल-पुथल के बीच बसपा प्रमुख ने नयी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। मालूम हो कि विधानसभा चुनाव में अब अधिक समय नहीं बचा है, उम्मीद है कि इस साल के अंत तक या फिर अगले साल के शुरुआत में ही यूपी चुनाव का बिगुल बज सकता है।
- बसपा सुप्रीमों ने एक बड़ा फैसला करते हुए पार्टी के कद्दावर नेता और राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी से लखनऊ और कानपुर का चार्ज वापस ले लिया है।मायावती ने अब लखनऊ और कानपुर की जिम्मेदारी हाल ही में राज्यसभा सदस्य बने अशोक सिद्धार्थ को सौंपी है।वहीं, प्रताप सिंह बघेल, बिजेंद्र चौहान, आरएस कुशवाहा और सुरेश कश्यप को पार्टी का प्रदेश महासचिव नियुक्त किया गया है, इन सबको मंडलवार दायित्व सौंपा गया है।
- इसके साथ ही मुरादाबाद में बसपा की कमान संभाल रहे अतर सिंह राव का कद बढ़ाते हुए बसपा प्रमुख ने उनको मेरठ और अलीगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी है।अब तक आगरा और अलीगढ़ मंडल का काम देख रहे जोनल कोऑर्डिनेटर सुनील चितौड़ से अलीगढ़ की जिम्मेदारी ले ली गई है।पार्टी ने जिलाध्यक्षों का भार कम करते हुए अब प्रत्येक जिले में जिलाध्यक्ष के साथ एक कोऑर्डिनेटर रखने का फैसला किया है। वहीं जिलें में मंडल कोऑर्डिनेटरों को जिलें में मॉनिटरिंग करने की बात कही गयी है।पार्टी के अंदरखाने बसपा सुप्रीमों के इस कदम को कहीं ना कहीं चुनाव से पूर्व जिलाध्यक्षों पर लगाम लगाने के महत्वपूर्ण कदम के तौर पर देखा जा रहा है।