कैबिनेट फैसले : गोरखपुर महानगर में लाइट रेल ट्रांजिट परियोजना के क्रियान्वयन तथा डी0पी0आर0 अनुमोदित


मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय
लखनऊ | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
गोरखपुर महानगर में यातायातीय व्यवस्था को सुगम एवं सुचारू
बनाने हेतु पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में लाइट रेल ट्रांजिट
(एल0आर0टी0) परियोजना के क्रियान्वयन तथा डी0पी0आर0 अनुमोदित

परियोजना में कुल 27.84 किमी0 की लम्बाई में 02 एलिवेटेड काॅरिडोर्स प्रस्तावित हैं

परियोजना की कुल लागत 4,672 करोड़ रु0,
परियोजना को वर्ष 2024 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य
मंत्रिपरिषद ने गोरखपुर महानगर में यातायातीय व्यवस्था को सुगम एवं सुचारू बनाने हेतु पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में लाइट रेल ट्रांजिट (एल0आर0टी0) परियोजना के क्रियान्वयन तथा डी0पी0आर0 को अनुमोदन प्रदान कर दिया है।
परियोजना में कुल 27.84 किमी0 की लम्बाई में 02 एलिवेटेड काॅरिडोर्स प्रस्तावित हैं। इन एलिवेटेड काॅरिडोर्स के अन्तर्गत श्याम नगर से मदन मोहन मालवीय प्राविधिक विश्वविद्यालय तक 15.14 किमी0 की लम्बाई में 14 स्टेशन प्रस्तावित हैं। इसी प्रकार बी0आर0डी0 मेडिकल काॅलेज से नौसढ़ चैराहा तक 12.70 किमी0 लम्बाई के काॅरिडोर में 13 स्टेशन प्रस्तावित हैं। इस परियोजना की कुल लागत 4,672 करोड़ रुपये है। परियोजना को वर्ष 2024 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य है।
ज्ञातव्य है कि लखनऊ, गाजियाबाद तथा नोयडा में मेट्रो रेल संचालित है। दिल्ली से मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का कार्य प्रगति पर है जिसके लिये वर्ष 2020-21 के बजट में राज्य सरकार द्वारा 900 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। आगरा मेट्रो रेल परियोजना हेतु 286 करोड़ रुपये प्राविधानित किए गए हैं।
कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के लिए 358 करोड़ रूपये की बजट व्यवस्था की गई है। कानपुर महानगर में सुगम यातायात उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में मेट्रो रेल परियोजना को क्रियान्वित करा रही है। कानपुर में मेट्रो रेल परियोजना का कार्य प्रगति पर है।
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प्रदेश की सहकारी चीनी मिलांे के आगामी पेराई सत्र 2020-21 हेतु उ0प्र0 सहकारी बैंक/जिला सहकारी बैंकों से उपलब्ध करायी जाने वाली नकद साख-सीमा की सुविधा के लिए शासकीय गारण्टी प्रदान किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश की सहकारी चीनी मिलांे के आगामी पेराई सत्र 2020-21 हेतु उ0प्र0 सहकारी बैंक/जिला सहकारी बैंकों से उपलब्ध करायी जाने वाली नकद साख-सीमा की सुविधा के लिए शासकीय गारण्टी प्रदान किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि शासकीय गारण्टी प्रतिवर्ष प्रदान की जाती रही है। विगत पेराई सत्र 2019-20 में 3221.63 करोड़ रुपये की नकद साख सीमा के विरुद्ध शासकीय गारण्टी दी गयी थी एवं उक्त गारण्टी पर देय गारण्टी शुल्क 8.05 करोड़ रुपये को माफ किया गया था।
आगामी पेराई सत्र 2020-21 के लिए उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ लि0 की 24 सहकारी चीनी मिलों को 3650 करोड़ रुपये की शासकीय गारण्टी प्रदान किये जाने का प्रस्ताव है।
सहकारी चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति खराब होने के दृष्टिगत उक्त शासकीय गारण्टी पर देय गारण्टी शुल्क 09 करोड़ 12 लाख 50 हजार रुपये के भुगतान से छूट प्रदान किये जाने का निर्णय भी लिया गया है।
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जनपद गोरखपुर के कलेक्ट्रेट भवनों के नवनिर्माण कराये जाने
हेतु पुराने भवनों का ध्वस्तीकरण किये जाने का प्रस्ताव मंजूर

मंत्रिपरिषद ने जनपद गोरखपुर के कलेक्ट्रेट भवनों के नवनिर्माण कराये जाने हेतु पुराने भवनों का ध्वस्तीकरण किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। जनपद गोरखपुर के कलेक्ट्रेट भवनों के नवनिर्माण कराये जाने हेतु पुराने निष्प्रयोज्य व जर्जर भवनों के पुस्तांकित मूल्य में से स्क्रैप के निस्तारण से प्राप्त धनराशि को समायोजित कर ध्वस्तीकरण की लागत की धनराशि 83.65 लाख रुपये बट्टे खाते में डाला जना प्रस्तावित है।
ज्ञातव्य है कि जनपद गोरखपुर का कलेक्ट्रेट भवन सन 1903 एवं सन 1910 का बना हुआ है, जो काफी जीर्ण-शीर्ण हालत में है।
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उ0प्र0 आबकारी (आसवनी की स्थापना) (पन्द्रहवां संशोधन)
नियमावली, 2020 के प्रख्यापन का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश आबकारी (आसवनी की स्थापना) (पन्द्रहवां संशोधन) नियमावली, 2020 के प्रख्यापन का प्रस्ताव अनुमोदित कर दिया है।
आबकारी नीति वर्ष 2020-21 के प्रस्तर-2.7.8 के ईज आॅफ डूईंग बिजनेस के परिप्रेक्ष्य मंे आबकारी आयुक्त के स्तर से एवं शासन स्तर से निस्तारित किये जाने वाले प्रकरणों के निस्तारण स्तर में परिवर्तन कर, प्रदेश में स्थित आसवनियों में किये जाने वाले परिवर्तन/परिवर्धन के कार्याें को आबकारी आयुक्त के स्थान पर संबंधित प्रभार के उप आबकारी आयुक्त द्वारा निर्धारित किये जाने की व्यवस्था की गयी है। पेय मदिरा उत्पादन हेतु नई आसवनी की स्थापना तथा औद्योगिक एल्कोहल उत्पादन करने वाली आसवनियों/कैप्टिव आसवनियों को पेय मदिरा निर्माण/पेय क्षमता में वृद्धि की अनुमति हेतु आबकारी नीति वर्ष 2020-21 में प्राविधानित व्यवस्था में क्रम मंे अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति के स्थान पर अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, आबकारी विभाग की अध्यक्षता में समिति गठित किये जाने का प्राविधान किया गया है।
ऐसे अनुज्ञापी जिन्हें पी0डी0-33 में लाइसेंस प्रदान किया गया हो, बोतल भराई नियमावली में यथाविनिर्दिष्ट निबन्धन और शर्ताें के अधीन पेय मदिरा के विनिर्माण के लिए अन्य आसवनियों से एक्स्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल क्रय कर सकता है, धारित कर सकता है और उसका उपभोग कर सकता है, की व्यवस्था की गयी है। पी.डी.-33 अनुज्ञापन की वैधता एक वर्ष के लिए बढ़ाये जाने हेतु अतिरिक्त लाइसेंस फीस आरोपित किये जाने का प्रस्ताव किया गया है। लो रिकवरी प्रकरणों में दण्ड हेतु विकल्प भी प्राविधानित किया गया है।
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जनपद गाजीपुर में ताड़ीघाट बारा कुम्हार चैसा मार्ग के सुदृ़ढ़ीकरण एवं मार्ग के दोनों ओर 1.50 मीटर चैड़ाई में पेव्ड शोल्डर के निर्माण कार्य की पुनरीक्षित लागत स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने जनपद गाजीपुर में ताड़ीघाट बारा कुम्हार चैसा मार्ग (राज्य मार्ग संख्या-99) के सुदृ़ढ़ीकरण एवं मार्ग के दोनों ओर 1.50 मीटर चैड़ाई में पेव्ड शोल्डर के निर्माण कार्य की पुनरीक्षित प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति को मंजूरी प्रदान कर दी है।
जनपद गाजीपुर में ताड़ीघाट बारा कुम्हार चैसा मार्ग (राज्य मार्ग संख्या-99) का सुदृ़ढ़ीकरण एवं मार्ग के दोनों ओर 1.50 मीटर चैड़ाई में पेव्ड शोल्डर का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। यह मार्ग जनपद गाजीपुर में ताड़ीघाट से प्रारम्भ होकर बारा होते हुए बिहार राज्य के जनपद बक्सर को जोड़ता है। यह मार्ग बिहार राज्य को जोड़ने हेतु एक महत्वपूर्ण राज्य मार्ग है। बिहार राज्य से कोर्स सैण्ड एवं झारखण्ड से कोयले के ट्रकों का आवागमन चैसा से गाजीपुर होते हुए उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए इसी मार्ग से होता है।
शासनादेश संख्या-106/2016/398(1)/ 23-11-2015-1/2(166)/2015 दिनांक 31.03.2020 द्वारा प्रश्नगत मार्ग की लागत 22875.18 लाख रुपये की मूल स्वीकृति प्रदान की गयी थी। इस मार्ग के निर्णाण कार्य में प्राइस ऐजजेस्टमेन्ट अधिष्ठान व्यय, लेबर, सेस, मूल्य ह्रास निधि, अतिरिक्त मदों, यूटिलिटी शिफ्टिंग तथा जी0एस0टी0 की लागत में वृद्धि के कारण पुनरीक्षण की आवश्यकता हुई।


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