देल्ली | सरकार ने पहली बार भवन निर्माण एवं मलबे के प्रबंधन से संबंधित नियम, 2016 अधिसूचित किए हैं। केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज यहां भवन निर्माण एवं मलबे के प्रबंधन से संबंधित नियमों की प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि ये नियम प्रदूषण और कचरा प्रबंधन से कारगर ढंग से निपटने की दिशा में एक पहल हैं। श्री जावड़ेकर ने कहा कि वर्तमान में निर्माण कार्यों और इमारतों को ढहाने से उपजे मलबे के कारण हर साल 530 मिलियन टन कचरा पैदा होता है। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण और मलबे से संबंधित कचरा, कचरा नहीं बल्कि संसाधन है। उन्होंने कहा कि इन नियमों का आधार भवन निर्माण और इमारतों को ढहाने से उत्पन्न मलबे को पुन: प्राप्त करना, पुन: चक्रित करना और उसका पुन: इस्तेमाल करना है। श्री जावड़ेकर ने कहा कि भवन निर्माण और इमारत ढहाने से उत्पन्न मलबे से संबंधित कचरे को अलग-अलग करना और उसको प्रसंस्करण के लिए संग्रह केन्द्रों पर जमा करवाना अब उस व्यक्ति की जिम्मेदारी होगी, जो उस कचरे के उत्पन्न होने के लिए उत्तरदायी है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि स्थानीय निकाय, नगर निगम और सरकारी संविदाओं के तहत होने वाले भवन निर्माण और मलबे से प्राप्त सामग्री के 10 से 20 प्रतिशत अंश का उपयोग करेंगे। श्री जावड़ेकर ने कहा कि एक मिलियन टन से ज्यादा की आबादी वाले शहर इन नियमों की अंतिम अधिसूचना जारी होने की तिथि से लेकर 18 महीनों के भीतर प्रसंस्करण और निपटान की सुविधा प्रारंभ कर देंगे, जबकि 0.5 से एक मिलियन की आबादी वाले शहर तथा 0.5 मिलियन से कम आबादी वाले शहर क्रमश: दो और तीन वर्षों में ये सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा, ‘निर्माण और मलबे के प्रबंधन की योजना प्रस्तुत करने पर ही भवन निर्माण की अनुमति प्रदान की जाएगी।’ श्री जावड़ेकर ने कहा कि बड़े पैमाने पर कचरे के जमा होने के लिए जिम्मेदार लोगों को संबंधित प्रशासन द्वारा अधिसूचित किये जाने के अनुरूप- संग्रहण, परिवहन, प्रसंस्करण और निपटान के लिए उपयुक्त शुल्क चुकाना होगा।
भवन निर्माण और कचरा प्रबंधन नियमों का मसौदा तीन महीने पहले प्रकाशित किया गया था, जिस पर मंत्रालय को 11 सुझाव प्राप्त हुए हैं।