भारत सरकार की बिजली कम्पनियों की रेटिंग में बड़ा खुलासा प्रदेश की दो कम्पनियां पूरी तरह फेल


 

 

 

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100 नम्बर की रेटिंग में उत्तर प्रदेश की कम्पनियों का बुरा हाल

मध्यांचल  व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम सबसे फिसड्डी सी रेटिंग
लखनऊ,।उत्तर प्रदेश सरकार व पावर कार्पाेरेशन के लोग जहां प्रदेश की बिजली कम्पनी की सराहना करते नहीं थकते, वहीं उपभोक्ता परिषद आज जो बड़ा खुलासा किया है,बिजली कंपनियों की कलई खुल गयी। ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा लगभग 21 राज्यों की 40 बिजली कम्पनियों की वित्तीय व तकनीकी मानकों की जो चैथी वार्षिक एकीकृत रेटिंग की घोषणा की। उसमें यूपी की एक बिजली कम्पन्नी को छोडक़र अन्य सभी बिजली कम्पनियों की रेटिंग सबसे निचले स्थान पर है।

भारत सरकार द्वारा इस रेटिंग में जो प्रमुख मुद्दे लिये गये, उसमें एटीसी हानियां, बिजली खरीद, कास्ट इफीशिएन्सी, सरकार सर्पाेट आडिट एकाउण्ट व अन्य वित्तीय, तकनीकी मानकों के लिये मार्किंग निर्धारित कर यह तय किया कि जो बिजली कम्पनी 80 से 100 नम्बर पायेगी वह ए प्लस होगी, 65 से 80 ए, 50 से 65 बी प्लस, 35 से 50 बी, 20 से 35 सी प्लस व 0 से 20 नम्बर पाने वाले सी रेटिंग की होगी।

उत्तर प्रदेश की मध्यांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम सबसे फिसड्डी सी रेटिंग में आयी हैं। वहीं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व केस्को सी प्लस, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के बी रेटिंग पाने में कामयाब हो पायी। वहीं दूसरी ओर गुजरात की बिजली कम्पनियां ए प्लस, कर्नाटका की ए और उत्तर प्रदेश से सटे राज्य उत्तराखण्ड भी ए रेटिंग में पहुंचने में कामयाब रहा। मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश की बिजली कम्पनियों को यह सोच लेना चाहिए कि केवल हर साल बिजली दर बढ़ाने से बिजली कम्पनियों की स्थिति में कोई सुधार होने वाला नहीं है।

सबसे पहले बिजली कम्पनियों को ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा से उपभोक्ता सेवा में अपना योगदान देते हुए लाइन हानियों, महंगी बिजली खरीद व अन्य उदासीनता रूपी रवैये पर विराम लगाना होगा। वहीं इस मामले में उपभोक्ता परिषद जल्द ही नियामक आयोग अध्यक्ष से मिलकर यह मांग उठायेगा कि पिछले 4 वर्षों से जिस प्रकार से लगभग 50 से 55 प्रतिशत बिजली दरों में औसत वृद्धि हो चुकी है, उससे पूरी तरह यह सिद्ध हो रहा है कि जब तक बिजली विभाग के उच्चाधिकारी से लेकर निचले स्तर तक के कार्मिक पारदर्शिता के आधार पर अपना योगदान विभाग को नहीं देंगे, तब तक कोई सुधार नहीं होने वाला है। ऐसे में प्रभावी सुधार परिलक्षित होने तक यूपी में बिजली दरों में बढ़ोत्तरी को रोक दिया जाना चाहिए।


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