नई दिल्ली. निरंकारी बाबा हरदेव सिंह का अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर बुधवार को किया गया. सीएनजी शवदाह गृह में हर ओर ‘तू ही निरंकार’ के उद्घोष के बीच उनका पार्थिव शरीर पंच तत्व में विलीन हो गया. उनके दामाद का अंतिम संस्कार भी वहीं पर किया गया. निगम बोध घाट पर मौजूद सैकड़ों लोगों की आखें अपने बाबा हरदेव को अंतिम विदाई देते हुए भर आईं.
बाबा हरदेव सिंह की अंतिम यात्रा में आज हजारों भक्त उमड़ पड़े और उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे. उनका पार्थिव शरीर दिल्ली लाए जाने के बाद बुराड़ी बाईपास के ग्राउंड नंबर-8 में एक विशेष चैंबर में रखा गया था. उनके अंतिम यात्रा के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. दूसरी ओर, खबर है कि अब निरंकारी मिशन की कमान हरदेव की पत्नी सविंद्र कौर संभालेंगी. बाबा हरदेव सिंह महाराज का पार्थिव शरीर सोमवार को दिल्ली लाया गया था.
गौर हो कि निरंकारी मिशन के प्रमुख हरदेव सिंह का कनाडा में 13 मई को एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था. वह 62 वर्ष के थे. वह कनाडा में एक कार में सवार होकर कहीं जा रहे थे और उसी दौरान उनकी कार भीषण दुर्घटना का शिकार हो गई. संत हरदेव सिंह धार्मिक सभाओं में शामिल होने के लिए कनाडा गए थे. कनाडा के टोरंटो में जून में निरंकारी अंतरराष्ट्रीय समागम (एनआईएस) होने वाला था. हरदेव सिंह का जन्म दिल्ली में 23 फरवरी 1954 को गुरबचन सिंह और कुलवंत कौर के घर हुआ. उनके पिता गुरबचन सिंह निरंकारी प्रमुख थे. संत गुरबचन सिंह की हत्या कर दी गई थी.
पिता गुरबचन सिंह की हत्या के बाद हरदेव सिंह ने संगठन के ‘सतगुरू’ के रूप में जिम्मेदारी संभाली. जब 1980 में गुरबचन सिंह की हत्या हुई उस समय वह संत निरंकारी मिशन के प्रमुख थे. संत निरंकारी मिशन की स्थापना 1929 में बूटा सिंह ने की थी. दुनिया भर में बाबा के करोड़ों अनुयायी हैं, जो इस हादसे से दुखी हैं.