नई दिल्ली : साल 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यूपी सरकार अपने रिश्तेदारों के चलते विवादों में घिरती जा रही है. पहले मथुरा विवाद और अब अखिलेश सरकार के एक विधायक ने अपने निर्वाचन क्षेत्र औरैया जिले के बिधूना स्थित रामलीला मैदान पर कब्जा कर नया विवाद खड़ा कर दिया है. लेकिन इस बार यूपी के सीएम अपने चाचाओं के चंगुल में नहीं बल्कि वह अपने पिता मुलायम सिंह के साढू प्रमोद गुप्ता के चंगुल में बुरे फंस गए है.
आरोप है कि कब्जा की गई जमीन पर सरकारी निधि से रैनबसेरा की आड़ में एक आलीशान भवन बनवा लिया है, जिसमें विधायक खुद ही रहने लगे हैं. पूर्व मंत्री विनय शाक्य ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को भेजे पत्र में गुहार लगाई है कि विधायक के कब्जे से रामलीला मैदान को खाली करा कर प्रशासन के सुपुर्द कराया जाए.
सूत्रों के मुताबिक इस जमीन को खाली कराने के लिए कई बार शिकायत दी गई, लेकिन अधिकारियों ने विधायक प्रमोद गुप्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. पूर्व मंत्री ने मथुरा हादसे के बाद जिलाधिकारी के नाम से भेजे एक पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि मथुरा और बिधूना में एक तरह से समानता है. दोनों ही जगह सरकारी जमीन पर कब्जे का मामला है. यहां भी मथुरा की ही तरह विधायक के पास बड़ी संख्या में हथियार हैं, जो कभी भी किसी बडे हादसे को अंजाम दे सकते हैं. पूर्व मंत्री विनय शाक्य की शिकायत के मुताबिक बिधूना नगर में सरकारी भूमि संख्या 708 और 711 जो कि रामलीला मैदान के नाम से दर्ज है, उस पर कब्जा कर अवैध निर्माण कराया गया है. मथुरा और बिधूना में कोई अंतर नही है.
फर्क सिर्फ इतना है कि मथुरा में लोग सत्याग्रही बन कर काबिज हुए और बिधूना में जनप्रतिनिधि की हैसयित से गुप्ता. वह मुलायम के रिश्ते में साढू लगते है. इसलिए प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है. उन्होंने कहा कि सपा विधायक ने नगर पंचायत का चेयरमैन रहते हुए रामलीला मैदान की जमीन को पट्टे के बहाने रामलीला समिति के नाम इंद्राज कराया है. इकरारनामे में नगर पंचायत अध्यक्ष और रामलीला समिति के अध्यक्ष के तौर पर दोनो स्थानों पर सपा विधायक प्रमोद गुप्ता की ही फोटो का इस्तेमाल किया गया है.
आरोप है कि नगर पंचायत के अध्यक्ष रहते हुए प्रमोद गुप्ता ने 29 साल का पट्टा करके रामलीला मैदान की जमीन को फर्जी तरीके से इकरारनामे के जरिए अपने नाम करवा कर कब्जा कर लिया. जबकि यह जमीन आज भी जिलाधिकारी के नाम से रामलीला समिति के नाम से खतौनी मे इंद्राज है. रामलीला समिति के नाम से खसरा संख्या – 0.346 और 0.048 की यह जमीन सरकारी अभिलेखों में दर्ज हैं. करीब पचास करोड़ की जमीन पर गुप्ता ने 2012 में विधायक बनने के बाद अपना आवास बना लिया. बताया जाता है कि इसके लिए विधायक निधि से 25-25 लाख रुपए की पांच किस्तों को अधिकारियों और बाबुओं की मिलीभगत से गलत ढंग से प्रयोग किया गया.
सूत्रों के मुताबिक करीब सवा करोड़ रुपए की विधायक निधि का प्रमोद गुप्ता ने अपने आवास निर्माण में खर्च कर डाला. रामलीला मैदान पर कब्जे की वजह से बीते करीब पांच साल से बिधूना में किसी भी दल की सभा नहीं हो सकी है. वैसे यह जमीन एक समय में प्रताप सिंह सेंगर ने प्रशासन को दान में दी थी. औरैया की जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने बताया अभी उनके संज्ञान में यह मामला नहीं आया है. संबंधित अफसरों से बात की जा रही है. उधर, बिधूना के विधायक प्रमोद गुप्ता ने अपने ऊपर लगाए आरोपों पर कहा कि उन्होंने किसी भी जमीन पर कोई कब्जा नहीं किया. जिस जमीन पर कब्जे की बात कही जा रही है, उसका बाकायदा आबंटन हुआ है. आज जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वह उनके विरोधियों का षड्यंत्र है.
सपा की औरैया इकाई के जिलाध्यक्ष शिवनाथ यादव का कहना है कि जब भी प्रदेश अध्यक्ष पार्टी विधायकों के बारे में रिपोर्ट मांगते हैं, हम रिपोर्ट भेज देते हैं. लेकिन वे विधायक प्रमोद गुप्ता के बारे में कुछ नहीं बोले. औरैया के वरिष्ठ सपा नेता और पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री रामबाबू यादव ने इस मामले को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अलावा सपा प्रमुख के सामने रखा था मगर उस पर कुछ नहीं हुआ. पूर्व मंत्री शाक्य ने मथुरा कांड के बाद जिलाधिकारी के नाम से भेजे एक पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि मथुरा और बिधूना में एक तरह से समानता है. दोनों ही जगह सरकारी जमीन पर कब्जे का मामला है. यहां भी मथुरा की ही तरह विधायक के पास बड़ी संख्या में हथियार हैं, जो कभी भी किसी बडे हादसे को अंजाम दे सकते हैं.