बुंदेलखंड भेजी गई केन्द्र की जल ट्रेन पर सियासत


 

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लखनऊ|  यूपी सरकार पहले ही मना कर चुकी है कि बुंदेलखंड में पानी की व्यवस्था की जा रही है, वहां वाटर ट्रेन भेजने की जरूरत नहीं है।

इस बीच झांसी में ट्रेन पहुंचने की चर्चा पर सीएम ने डीएम को ट्रेन की जांच कर रिपोर्ट मांगी है कि ट्रेन में पानी है या नहीं ? वहीं कानपुर में गुरुवार को शिवपाल ने दो टूक कहा कि केंद्र सरकार बुंदेलखंड के साथ राजनीति कर रही है। वहां के सभी जिलों में पेयजल व्यवस्था के लिए प्रदेश सरकार सक्षम है और कर भी रही है।

शिवपाल ने कहा कि बुंदेलखंड जब प्यासा था तब पानी की ट्रेन भेजने वाले कहां थे। सपा सरकार ने बुंदेलखंड में पानी की समस्या को दूर करने के लिए 13 डैम का नर्मिाण शुरू कर दिया है। जल संकट दूर करने के लिए प्रदेश सरकार ने 22 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इसके तहत नदियों और नहरों की सफाई, तालाबों की खुदाई समेत अन्य कार्य किए जा रहे हैं। बुंदेलखंड में भी काफी काम किया गया है। इस बारिश में वहां के तालाबों और नदियों में भरपूर पानी होगा।

क्या है मुद्दा-
भाजपा के हमीरपुर से सांसद कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने केंद्र से मांग की कि हमीरपुर-महोबा में ट्रेन से पानी भेजा जाए। रेलवे बोर्ड ने झांसी के डीआरएम और स्टेशन मास्टर से रिपोर्ट मांगी। दोनों ने महोबा के डीएम वीरेश्वर कुमार से बात की। डीएम ने लखनऊ में बैठे आला अधिकारियों और फिर सत्ता में बैठे बड़े सियासी हुक्मरानों से पूछा। संकेत मिले कि जब पानी पर्याप्त है तो ट्रेन क्यों मंगवाई जाए? लिहाजा डीएम ने रेलवे को पत्र लिखकर ट्रेन लेने से इनकार कर दिया।

दोनों की निगाह 2017 के सियासी समर पर
पानी भेजने की तेजी और इनकार के पीछे वजह है कि विधानसभा चुनाव केंद्र व यूपी दोनों की ही निगाह में है। गंगा सफाई, केंद्रीय सहायता जैसे मुद्दों पर दोनों सरकारों में आरोप-प्रत्यारोप पहले से चल रहे हैं। अखिलेश वक्त-बे-वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते रहे हैं। अब केंद्र सरकार इस नई तत्परता से यह संदेश देने की कोशिश में दिखती है कि उसे बुंदेलखंड की बदहाली दूर करने की फक्रि अखिलेश सरकार से ज्यादा है।

इनकार के सियासी कारण –
अखिलेश सरकार दो कारणों से इनकार कर रही है। एक तो उसे भय है कि केंद्र व विपक्षी दल यह संदेश देने में कामयाब रहेंगे कि यूपी सरकार पानी मुहैया कराने में ठीक से काम नहीं कर रही है, जबकि पहले से ही पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। दूसरे बुंदेलखंड में पानी संकट उतना गहरा नहीं है जितना खाद्यान्न संकट। सरकार खाद्यान्न सामग्री के पैकेट पहले से ही बंटवा रही है। तो फिर बेवजह की सियासत को क्यों हवा दी जाए। वैसे भी बुंदेलखंड वोट बैंक व विधानसभा सीटों के लिहाज से तो बहुत ज्यादा ताकतवर नहीं है लेकिन देश में इसकी बदहाली पर सियासत उसी तरह होती है जैसे महाराष्ट्र के विदर्भ की।

केंद्र दे 10,000 खाली टैंकर: अखिलेश यादव
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि सरकार ने बुंदेलखंड में उचित स्थानों तक पानी पहुंचाने के लिए कारगर इंतजाम किए हैं। केंद्र सरकार यूपी को 10,000 टैंकरों की व्यवस्था कराए, ताकि बुंदेलखंड में उपलब्ध जल स्रोतों से ही जरूरतमंदों तक पानी पहुंचाया जा सके।

उधर, हमीरपुर-महोबा से  भाजपा सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने कहा कि जिला प्रशासन ने वाटर ट्रेन महोबा आने में अड़ंगा डाल दिया है। महोबा के कई गांवों में पानी की भारी कल्लित है। पानी की ट्रेन न आने की जानकारी पर भाजपाइयों ने नाराजगी जताई है।

दूसरी तरफ बुन्देलखण्ड में पेयजल की उपलब्धता को लेकर झांसी रेल मण्डल के अफसरों ने तैयारी कर ली है। रतलाम से 10 टैंकरों की खेप झांसी पहुंच गई है। टैंकरों को यार्ड में सफाई कार्य के लिये बोला गया है, जहां पर उन्हें पानी भरने योग्य बनाया जायेगा।

अपर मण्डल रेल प्रबंधक विनीत सिंह कहते हैं कि महोबा आदि में रेलवे टैंकरों से पानी भेजने सम्बंधी कोई प्रस्ताव वहां के डीएम ने रेलवे को नहीं भेजा गया है। उन्होंने कहा कि यदि जिला प्रशासन रेलवे के टैंकरों से पानी लाना-ले जाना चाहेंगे, तो इसके लिए जिला प्रशासन को रेलवे से सम्पर्क करना होगा। जिला प्रशासन को यह भी बताना होगा कि पानी की लोडिंग एवं अनलोडिंग कहां और कैसे कराई जाएगी।

पानी की र्प्याप्त व्यवस्था, ट्रेन की जरूरत नहीं: डीएम
महोबा। इस मामले में डीएम वीरेश्वर सिंह का कहना है कि महोबा में वाटर ट्रेन की जरूरत नहीं है। जिले में सभी को पेयजल मुहैया कराया जा रहा है। जल संस्थान के 46 और नगर पालिका और नगर पंचायत के 10 टैंकर लगाने के साथ-साथ नए नलकूपों की भी स्थापना कराई जा रही है।

डीएम कहते हैं कि जिले में 17 हजार हैंडपम्पों में से 500 का रीबोर रनिंग पर है। यहां कोई बड़ी नदी नहीं है जो तालाब सूखे पडे़ हैं उनमें टैंकरों से पानी भरवाए जाने की व्यवस्था की जा रही है। कहते हैं कि 14वें वत्ति से हर ग्राम पंचायत में नए टैंकर खरीदे जाने की स्वीकृति दी जा चुकी है। करीब पांच दर्जन टैंकर पंचायतों में नए खरीदे जा चुके हैं।

पेयजल की समस्या नहीं –
सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियन्ता (विभागाध्यक्ष) सीके वर्मा ने बताया कि  बुन्देलखंड में इस समय सिंचाई के लिए पानी की जरूरत नहीं है। नहरों व जलाशयों में उपलब्ध पानी को पेयजल के लिए रिजर्व कर दिया गया है। शहरों में नियमित जलापूर्ति हो रही है जबकि दूर-दराज के गांवों में जल निगम टैंकरों से पानी की आपूर्ति कर रहा है।
जलाशय से पानी की हो रही आपूर्ति
माताटीला, पारीछा, सपरार, गोवन्दि सागर,रणगवां, ओहन, अर्जुन तथा शुकवा-डुकवा
पशुओं को पानी पिलाने के लिए भरे तालाब-
पशुओं के लिए पानी की समस्या न हो इसके लिए तालाबों को भी भरने के इन्तजाम किए गए हैं। अकेले ललितपुर में ही 30 तालाबों को भर दिया गया है।

इनसेट- बुंदेलखंड को अब तक मिली राहत
– दी गई धनराशि                      867 करोड़
– पानी सप्लाई के लिए लगे                801 टैंकर
– खरीदे जा रहे हैं                        700 से अधिक
– हैंडपंप लगे हैं                              1,43,290
– रिबोर कराए जा रहे                  15,000 से अधिक
– तालाबों-पोखरों में पानी की उपलब्धता कराई जा रही है सुनश्चिति

 


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