उत्तराखंड में हरीश को बहुमत का दावा


 

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उत्तराखंड में पिछले पौने दो महीने से चली आ रही राजनीतिक उठापटक और कानूनी दांवपेचों के बीच सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य विधानसभा में मंगलवार को शक्ति परीक्षण की कार्यवाही खत्‍म हो गई. इस बहुमत परीक्षण में अपदस्थ मुख्यमंत्री हरीश रावत की किस्मत का फैसला तय हो गया है. इस बात की संभावना जताई जा रही है कि इस फ्लोर टेस्‍ट में हरीश रावत पास हो गए हैं.

शक्ति परीक्षण की ये कार्रवाई विधानसभा में आज सुबह 11 बजे से शुरू हुई थी. हालांकि, गत 18 मार्च को हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर उत्तराखंड में सियासी घमासान की शुरुआत करने वाले नौ बागी कांग्रेस विधायकों को सर्वोच्च न्यायालय की ओर से आज होने वाले शक्ति परीक्षण में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय देने से सदन की प्रभावी क्षमता घटकर 62 और बहुमत का आंकड़ा 32 हो गया था.

शक्ति परीक्षण का परिणाम कल सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा. शक्ति परीक्षण के दौरान विधानसभा के अंदर किसी भी विधायक को मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी.

इससे पहले शक्ति परीक्षण के पहले कांग्रेस विधायक रेखा आर्य ने पार्टी से बगावत कर दी. वह आज सुबह उत्तराखंड भाजपा अध्‍यक्ष से मिलीं हैं और भाजपा वि धायकों के साथ वि धानसभा पहुंचीं. फ्लोर टेस्ट के पहले बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि भाजपा के साथ कोई डील नहीं हुई है. हम कांग्रेस को अपना समर्थन दे रहे हैं.

आज सुबह रावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भगवान केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ सब हमारे साथ हैं. जनता हमारे साथ हैं. सब एकजुट हैं जो हमको सहयोग करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा का कुछ भी दावा हो पर उत्तराखंड की जीत होगी.

क्या है मामला

18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन  की भाजपा की मांग का कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया था, जिसके बाद  राज्य में सियासी तूफान पैदा हो गया और उसकी परिणिति 27 मार्च को  राष्ट्रपति शासन के रूप में हुई थी.

संसद में गूंजा था मामला

उत्तराखंड मसला सोमवार को लोकसभा में उठा. कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन का  अनैतिक करार देते हुए कहा कि राज्य में लोकतंत्र की हत्या की गयी है. वहीं  भाजपा ने कहा कि सबसे अधिक बार संविधान के अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल  करनेवाली कांग्रेस को इस विषय पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है.   लोकसभा ने उत्तराखंड का बजट पारित कर दिया.

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने  विधानसभा में 10 मई को शक्ति परीक्षण का आदेश देते हुए कहा था कि विशेष रूप से आहूत दो घंटे के सत्र के दौरान  राष्ट्रपति शासन लागू नहीं रहेगा. पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न एक बजे तक  विधानसभा सत्र का आयोजन शक्ति परीक्षण के ‘एकमात्र एजेंडे’ के लिए होगा.  सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रधान सचिव जय देव सिंह को उत्तराखंड  विधानसभा में मंगलवार को होनेवाले फ्लोर टेस्ट का पर्यवेक्षक नियुक्त किया  गया है.   देहरादून में धारा 144 लागू कर दी गयी है. विधानसभा में मीडियाकर्मियों के प्रवेश पर रोक है.

नौ बागी विधायकों की याचिका खारिज

इसके पहले सोमवार की सुबह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में नैनीताल हाइकोर्ट ने नौ बागी  विधायकों की उस याचिका को खारिज कर दी, जिसमें स्पीकर ने उनकी सदस्यता खारिज करते हुए फ्लोर टेस्ट में वोट देने से मना कर दिया था.   बाद में फैसले को चुनौती देने के लिए  इन विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी बागी विधायकों को राहत नहीं दी और हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.


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