उमा भारती ने नदियों को आपस में जोड़ने को लेकर भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत पर दिया जोर


The Union Minister for Water Resources, River Development and Ganga Rejuvenation, Sushri Uma Bharti chairing the 9th meeting of the Special Committee for Interlinking of Rivers, in New Delhi on April 29, 2016. 	The Secretary, Ministry of Water Resources, River Development and Ganga Rejuvenation, Shri Shashi Shekhar is also seen.

नदियों को आपस में जोड़ने संबं‍धी विशेष समिति की 9वीं बैठक संपन्‍न

दिल्ली   |    केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि नदियों को आपस में जोड़ने को लेकर देश में कई तरह की भ्रांतियां है जिसे दूर करने की जरूरत है। नदियों को आपस में जोड़ने के लिए गठित विशेष समिति की आज नई दिल्‍ली में आयोजित नौवीं बैठक की अध्‍यक्षता करते हुए उन्‍होंने कहा कि देश के कुछ भागों में हाल ही में आए सूखे को देखते हुए नदियों को आपस में जोड़ने की योजना का तेजी से कार्यान्‍वयन और अधिक आवश्‍यक हो गया है। उन्‍होंने ने कहा कि नदियों को आपस में जोड़ने से समुद्र में नदी के जल के प्रवाह में कोई कमी नहीं आयेगी। सुश्री भारती ने कहा, ‘हम नदी के मीठे जल के प्रवाह को नहीं रोक रहे हैं, बल्कि सिर्फ मॉनसून और बाढ़ के अतिरिक्‍त जल को इन नदियों से कम प्रवाह वाली नदियों में ले जायेंगे। इससे किसी भी नदी के सामान्‍य जल प्रवाह पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।’

उन्‍होंने कहा कि ओडिशा में भी महानदी-गोदावरी संपर्क को लेकर कुछ भ्रांतियां थी। वहां लोगों का यह मानना था कि महानदी में पहले से ही पानी कम है और फिर भी उसे गोदावरी से जोड़कर उसका बचा खुचा पानी भी गोदावरी में भेज दिया जाएगा। पर जब उन्‍हें यह बताया गया कि महानदी को गोदावरी से जोड़ने से पहले सुवर्णरेखा-महानदी संपर्क के जरिए पहले महानदी में अतिरिक्‍त पानी छोड़ा जाएगा। तब वहां महानदी-गोदावरी संपर्क को लेकर व्‍याप्‍त भ्रांतियां दूर हो गई।

केन-बेतवा नदी संपर्क को इस पूरी योजना का आधार बताते हुए सुश्री भारती ने यह उम्‍मीद जताई कि इसके पहले चरण का काम तीन महीने के अंदर शुरू हो जाएगा। उन्‍होंने कहा कि एक बार इसका काम शुरू हो जाने से लोग स्‍वयं इस योजना से होने वाले फायदों को महसूस कर सकेंगे। उन्‍होंने मध्‍य प्रदेश सरकार से अनुरोध किया कि इस योजना के पहले चरण के लिए आवश्‍यक वन्‍य संबंधी मंजूरी शीघ्रताशीघ्र उपलब्‍ध कराए, ताकि इस पर जल्‍द से जल्‍द काम शुरू किया जा सके।

दमन गंगा-पिंजाल और पार-तापी-नर्मदा संपर्क योजनाओं को भी जल्‍द शुरू किए जाने की आवश्‍यकता पर जोर देते हुए मंत्री महोदया ने महाराष्‍ट्र और गुजरात सरकारों से अनुरोध किया कि वे जल्‍द से जल्‍द इस बारे में अपनी सहमति उपलब्‍ध करा दें ताकि उन पर भी शीघ्र काम शुरू किया जा सके। महाराष्‍ट्र में लातूर के सूखे का उल्‍लेख करते हुए सुश्री भारती ने कहा कि नदी संपर्क योजनाओं से इस तरह की स्थिति से बड़े कारगर ढंग से निपटा जा सकता है। उन्‍होंने यह भी बताया कि वे आगामी 3 मई को मुंबई में महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री श्री देवेन्‍द्र फणनवीस से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा करेंगी। मंत्री  ने कहा कि दमन गंगा पिंजाल संपर्क से मुंबई को जल आपूर्ति बढ़ेगी। उन्‍होंने कहा कि वे इस परियोजना को लेकर आदिवासियों के बीच भ्रांतियों को दूर करने के लिए स्‍वयं उनके क्षेत्र में जाएंगी। सुश्री उमा भारती ने कहा कि दोनों राज्‍यों और केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारी एक साथ बैठकर इन परियोजनाओं से संबंधित सभी लंबित मुद्दों को सुलझाएंगे। मंत्री महोदया ने कहा कि इसके बाद वे इस मुद्दे पर दोनों राज्यों के मुख्‍यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगी। उन्‍होंने उम्मीद जताई कि शीघ्र ही दोनों राज्यों के सहयोग से इन परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सकेंगा।

महाराष्‍ट्र के जल संसाधन मंत्री श्री गिरीश महाजन ने कहा कि वे बैठक में व्‍यक्‍त विचारों को उनकी सरकार तक पहुंचा देंगे। उन्‍होंने यह आश्‍वासन भी दिया कि उनकी सरकार उपरोक्‍त दोनों परियोजनाओं पर शीघ्रताशीघ्र काम शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इससे पहले राष्‍ट्रीय जल विकास अधिकरण के महानेदशक डॉ.मसूद हुसैन ने समिति की पिछली बैठक के बाद हुई गति‍विधियों की जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि ‘अतिरिक्‍त जल’ को परिभाषित करने के लिए गठित उपसमिति तेजी से अपना काम कर रही है और शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट दे देगी। श्री हुसैन ने बताया कि राष्‍ट्रीय जल विज्ञान संस्‍थान, रूड़की ने महानदी-गोदावरी संपर्क परियोजना के बारे में जल संतुलन अध्‍ययन की प्रारूप रिपोर्ट इस महीने की 19 तारीख को प्रस्‍तुत कर दी है। इस पर ओडिशा सरकार की प्रतिक्रिया आने के बाद इसे अंतिम रूप देकर विशेष समिति के समक्ष रखा जाएगा। अंतर्राज्‍यीय संपर्को के बारे में जानकारी देते हुए श्री हुसैन ने बताया कि राष्‍ट्रीय जल विकास अभिकरण को इस बारे में महाराष्‍ट्र, गुजरात, झारखंड, ओडिशा, बिहार, राजस्‍थान, तमिलनाडु और छत्‍तीसगढ़ से 46 अंतर्राज्‍यीय संपर्कों के प्रस्‍ताव मिले है। इनमें से 35 के प्री-फी‍जिबिलीटी रिपोर्ट तैयार कर लिए गए है। उन्‍होंने बताया कि बिहार से आये बूढ़ी गंडक और गंगा तथा कोसी और मेछी को आपस में जोड़ने के प्रस्‍तावों के डीपीआर केंद्रीय जल आयोग के समक्ष विचाराधीन है। बिहार सरकार के प्रतिनिधि ने कहा कि यह प्रस्‍ताव दो वर्ष से अधिक समय से आयोग के समक्ष विचाराधीन है और इन्‍हें जल्‍दी अनुमोदन दिया जाए। सुश्री भारती ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय जल आयोग के अध्‍यक्ष को निर्देश दिया कि इसे शीघ्रताशीघ्र निपटाएं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की 24 जुलाई, 2014 को हुई बैठक में नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति के गठन को मंजूरी दी गई थी। इस तरह नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति गठित हुई थी। इसे 23 सितम्बर, 2014 के आदेश के तहत गठित की किया गया था। इसकी पहली बैठक 17 अक्टूबर, 2014 को आयोजित की गई थी। समिति सभी हितधारकों की राय पर विचार करने के बाद संदर्भो के तहत नदियों को आपस में जोड़ने के लक्ष्‍य की ओर बढ़ रही है।


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