हमारे पास जादू की छड़ी नहीं है : मुख्य आर्थिक सलाहकार


 

2016_2$largeimg227_Feb_2016_160521257

नयी  दिल्ली : भारत को उच्च वृद्धि के मार्ग पर लाने के लिए सरकार को सुधारों को लागू करने और परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के ‘बहुत कठिन प्रयास’ करने होंगे क्योंकि इसके लिए कोई जादू की छडी नहीं बनी है. यह बात आज मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कही.

सुब्रमण्यम ने कहा कि उन्होंने ‘व्यावहारिक’ दृष्टिकोण अपना कर अगले वित्त वर्ष में 7-7.75 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया गया है पर यदि 2008 के वैश्विक रिण संकट जैसी ‘अत्यधिक संकट’ की स्थिति बनी तो वृद्धि पटरी से उतर भी सकती है.
उन्होंने बातचीत में कहा, ‘‘हम कुछ चीजों को रेखांकित करते हैं जो की जा सकती थी लेकिन नहीं की गई. वस्तु एवं सेवा कर, रणनीतिक विनिवेश – ऐसी चीजें हैं जो हमें निश्चित तौर पर करने की जरुरत है. कार्पोरेट एवं बैंक की वित्तीय स्थिति संबंधी चुनौतियां सचमुच महत्वपूर्ण हैं जिनका समाधान होना चाहिए.
‘ वित्त वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा पेश होने के एक दिन बाद वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि सरकार को 8-10 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए. सुब्रमण्यम ने कहा कि सरकार दिवाला कानून लाकर घरेलू उद्योगों की समस्या सुलझाने की कोशिश कर रही है. उदय योजना बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए है. साथ ही बैंकों को पर्याप्त रुप से पूंजी उपलब्ध करने का प्रयास किया जा रहा है और इस्पात क्षेत्र को संकट से उबारने की पहल हो रही है. उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत कठिन काम है. इसमें बहुत से पक्ष जुडे हैं. बहुत सी परियोजनाएं जिनके समाधान की जरुरत है. इसके लिए काफी धन की भी जरुरत है. इसलिए हमें धीरे-धीरे और तयशुदा तरीके से इस प्रक्रिया के जरिए काम करना होगा.
यह कोई जादू की छडी घुमाने जैसा नहीं है.’ सुब्रमण्यम ने कहा कि वृद्धि के लिए सार्वजनिक निवेश को फिलहाल कुछ समय तक मदद करनी होगी क्योंकि निजी निवेश में अभी गति नहीं आयी है. उन्होंने कहा, ‘‘इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था बहुत ही मुश्किल में है. इस समय विश्व के बारे में अजीब बात यह है कि केवल इक्का दुक्का देश ही दिखते हैं जिन्हें आप मजबूत या स्थिर कह सकते हैं … भारत ही एक एकमात्र उम्मीद की किरण दिखता है.
विश्व में जो कुछ हो रहा है उससे हमारी संभावनाएं भी प्रभावित होंगी. ‘ अगले वित्त वर्ष के लिए वृद्धि 7-7.5 प्रतिशत का अनुमान जताते हुए बजट-पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वह सुधार को आगे बढाए, सब्सिडी घटायी जाए और जीएसटी लागू किया जाए। साथ ही मध्यम अवधि राजकोषीय लक्ष्य की समीक्षा करने की भी वकालत की गई है ताकि अतिरिक्त सार्वजनिक व्यय के लिए गुंजाइश पैदा की जा सके. समीक्षा में कहा गया कि भारत को 8-10 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त करने में 2-5 साल का वक्त लगेगा.

Scroll To Top
Translate »