बजट में क्‍या होगा खास? CCPA की बैठक में 31 जनवरी से बजट सत्र की सिफारिश


 

 

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नयी दिल्ली : संसदीय मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीपीए) ने आज बजट सत्र 31 जनवरी से कराने की सिफारिश की जब सरकार द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण और फिर एक फरवरी को केंद्रीय बजट प्रस्तुत किये जाने की संभावना है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली सीसीपीए ने आज यहां बैठक की और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से ये सिफारिशें कीं.

बैठक में संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार तथा कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी शामिल हुए. सरकार ने महीने के अंतिम दिन की बजाय एक फरवरी को बजट प्रस्तुत करने का फैसला किया है. इसके साथ ही अलग से रेल बजट पेश किये जाने की परंपरा भी खत्म हो जाएगी. बजट सत्र का पूर्वार्द्ध नौ फरवरी तक चलेगा.

उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर इस साल का केंद्रीय बजट सुर्खियों में रहने की उम्‍मीद है. विपक्षी दल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) केंद्र सरकार के बजट को विधानसभा के चुनाव को प्रभावित करने वाला मान रही है. नोटबंदी के बाद लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए मायावती ने हालांकि अभीतक बजट पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है. वहीं समाजवादी पार्टी आंदरूनी कलह में ही व्‍यस्‍त है. फिर भी विशेषज्ञों का मानना है कि बजट का प्रभाव विधानसभा चुनाव पर जरुर दिखेगा.

इस साल बजट सत्र में सरकार छोटे कारोबारियों को कर में राहत दे सकती है. हर बार बजट सत्र के दौरान आम बजट और रेल बजट अलग-अलग होता था. लेकिन ये पहला मौका होगा जब रेल बजट भी आम बजट में ही समाहित होगा. बजट से पहले सरकार जीएसटी (वस्‍तु एवं सेवा कर) पर स्थिति स्‍पष्‍ट करना चाहती है. आज जीएसटी परिषद की आठवीं बैठक है. इस साल के बजट में उपभोक्‍ता सामान सस्‍ते होने की उम्‍मीद जतायी जा रही है, जबकि शौक आधारित सामानों की कीमतों में इजाफा हो सकता है. सरकार कैशलेस इंडिया को लेकर खासा गंभीर है.

छोटे कारोबारियों को कैशलेस ट्रांजेक्‍शन के प्रति जागरुक करने के उद्देश्‍य से सरकार टैक्‍स में छूट देने की घोषणा कर चुकी है. सरकार ने कैशलेस ट्रांजेक्‍शन पर कई प्रकार की छूट का दावा भी किया है हालांकि बैंकों की ओर से ग्राहकों को अभी भी उस प्रकार का छूट उपलब्‍ध नहीं कराया जा रहा है. सोमवार को रिजर्व बैंक ने भी फिर से बैंकों को सर्विस चार्ज लेने की छूट दे दी है. ऐसे में सरकार के सामने चुनौती खड़ी हो सकती है.

देखा जाए जो नोटबंदी के सरकार के फैसले के बाद से बैंकों की ओर से सरकार को अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया है. सरकार के लाख आग्रह के बावजूद बैंकों ने अपना सर्विस टैक्‍स नहीं हटाया. दूसरी ओर नोटबंदी के बाद नोट बदली मामले में कई बैंक अधिकारियों ने सरकार की परिसंकल्‍पना को धत्ता बताते हुए कई लोगों के काले धन को सफेद करने में मदद की. हालांकि अभीतक सरकार की ओर से कोई भी संकेत नहीं मिले हैं.


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