लखनऊ, । फीस में बढ़ोतरी के कारण सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल के बाहर सोमवार को अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया। एक हफ्ते में ऐसा यह दूसरी बार हुआ है। अभिभावकों का कहना था कि स्कूल मैनेजमेंट की ओर से इस साल इतनी ज्यादा फीस बढ़ा दी गई जिसका बोझ उनकी जेब पर पड़ रहा है। वह चाहते हैं कि स्कूल मैनेजमेंट अपने इस फैसले को वापस ले। इसके अलावा स्कूल के अंदर ज्यादा दामों में जो किताबें व अन्य स्टेशनरी मिल रही है उस पर रोक लगे। वहीं स्कूल मैनेजमेंट का कहना है कि औसतन 18 से 20 प्रतिशत फीस बढ़ाई गई है तो वहीं सुविधा भी उसी अनुसार बढ़ाई गई हैं। अभिभावक शैलेष कुमार ने बताया कि स्कूल मैनेजमेंट अक्सर दस फीसदी तक फीस बढ़ाता है लेकिन इस बार 50 फीसदी से अधिक फीस बढ़ाई गई है। नर्सरी के बच्चों की फीस में भी लाइब्रेरी की फीस जोड़ी गई है। नर्सरी के बच्चे को लाइब्रेरी की क्या जरूरत। इसके अलावा स्पोर्ट्स फैसिलिटीज बढ़ाने के नाम पर फीस में काफी बढ़ोतरी की गई है।
प्रिसिंपल प्रोमिनी चोपड़ा के मुताबिक कुछ अभिभावकों ने फीस बढ़ोतरी को लेकर हंगामा किया लेकिन स्कूल मैनेजमेंट की ओर से औसतन फीस 18 से 20 प्रतिशत फीस ही बढ़ाई गई है। उनका कहना था कि आमतौर पर दस प्रतिशत फीस तो लगभग हर स्कूल बढ़ाता है। हमने 20 प्रतिशत तक अगर फीस बढ़ाई है तो कई नहीं सुविधाएं भी बढ़ाई गई हैं। हर क्लास में बच्चों के लिए एक की बजाए दो एसी लगवाए गए हैं। इसके अलावा स्पोर्ट्स फैसिलिटीज में भी बढ़ोतरी की गई है। डीएम राजशेखर ने इस मामले में जांच कमेटी गठित की है।
एक हिंदी दैनिक के मुताबिक सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल के परिसर में ही किताबों से लेकर पेन पेंसिल तक और यूनिफॉर्म बेची जा रही है। सभी के रेट तय हैं। वहीं प्रिंसिपल प्रोमिनी चोपड़ा का दावा था कि स्कूल परिसर में कम दाम पर किताबें मिल रही हैं। उस हिंदी दैनिक के मुताबिक यह दावा गलत साबित हुआ। स्कूल के बाहर की दुकानों पर किताबें ज्यादा सस्ती मिल रही हैं। इस पर प्रिंसिपल प्रोमिनी चोपड़ा ने कहा बच्चों के लिए स्कूल में किताबें खरीदना अनिवार्य नहीं है। यह केवल सुविधा के रूप में शुरू किया गया था।