प्रकृति और पर्यावरण को बचाकर विकास कार्य करने से सतत् विकास की अवधारणा सफलभूत हो सकेगी— मुख्यमंत्री योगी


मुख्यमंत्री ने कैम्पियरगंज, गोरखपुर में जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र का उद्घाटन किया

लखनऊ | प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रामायण कालीन मर्यादाएं तथा अनुशासन हमें सदाचरण हेतु प्रेरित करते हैं। जहां एक ओर उस कालखण्ड में गिद्धराज जटायु ने मित्रता का धर्म निभाने तथा नारी गरिमा की रक्षा करने के दायित्व का निर्वहन  किया, वहीं दूसरी ओर जटायु की वर्तमान पीढ़ी द्वारा इस पृथ्वी को शुद्ध करने का अविस्मरणीय कार्य किया जाता है। पेस्टिसाइड तथा दवाओं के अत्यधिक उपयोग का दुष्प्रभाव गिद्धों की प्रजातियों पर पड़ा। परिणामस्वरूप इनकी संख्या में तेजी से कमी आई। इनके बचाव के लिए ही आज यहां दुनिया, देश तथा प्रदेश का पहला जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र प्रारम्भ हो रहा है। हमें प्रकृति को बचाना है तथा इससे जुड़े हुए जीव जंतुओं के प्रति भी हमारा दायित्व बनता है।

मुख्यमंत्री आज कैम्पियरगंज, गोरखपुर में 05 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बने जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र का उद्घाटन करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने हरियाली तीज की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हम सब आज अपनी वैदिक और पौराणिक परम्परा तथा गिद्धराज जटायु की वर्तमान पीढ़ी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के लोकार्पण के कार्यक्रम के साथ जुड़ रहे हैं। रामायण काल के पहले बलिदानी गिद्धराज जटायु ने धर्म तथा नारी गरिमा की रक्षा के लिए स्वयं को बलिदान किया था।


मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अवसर पर रामायण कालीन प्रसंग का स्मरण हो रहा है, जब तुलसीदास जी कहते हैं कि ‘गीधराज सुनि आरत बानी। रघुकुलतिलक नारि पहिचानी।। अधम निसाचर लीन्हें जाई। जिमि मलेछ बस कपिला गाई।।’ अर्थात गिद्धराज जटायु ने सीता जी की दःुख भरी वाणी सुनकर पहचान लिया कि यह तो प्रभु श्री रामचन्द्र की धर्मपत्नी हैं। राक्षस माता सीता का अपहरण करके ठीक उसी प्रकार ले जा रहा है, जिस प्रकार कपिला गाय को कोई म्लेच्छ बलपूर्वक ले जा रहा हो। जटायुराज ने निहत्थे होकर भी राक्षसराज रावण से युद्धकर उसे घायल करने का कार्य किया था।
हमारी संस्कृति में गाय तथा बन्दर आदि पशु सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। किसी भी व्यक्ति द्वारा इन पशुओं को हानि पहुंचाने का कृत्य हमारे लिए असह्य होता है। क्योंकि इनके पूर्वजों ने कभी हमारी परम्परा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। हनुमान जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन प्रभु श्रीराम की भक्ति तथा माता सीता को ढूंढने के लिए समर्पित किया था। इस कारण हम उनके प्रति श्रद्धा का भाव रखते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जटायुराज की मित्रता महाराज दशरथ से थी। उन्होंने अपनी मित्रता तथा नारी गरिमा को बचाने के लिए रामायण काल के पहले बलिदानी के रूप में स्वयं को स्थापित किया। अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि मंदिर के ठीक सामने निर्मित स्थल पर जटायुराज की विशाल प्रतिमा स्थापित है। मित्रता कैसी होनी चाहिए, यह सीख हमें जटायु से लेनी चाहिए। वचन किस प्रकार निभाये जाने चाहिए, रामायण इस बारे में हमारा मार्गदर्शन करती है, ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई।’ जो वचन दिया, उसे अवश्य पूर्ण करना है। रामायण का यह प्रसंग आज हमारे लिए आदर्श बना है। गांव-गांव में रामलीलाएं होती हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस केंद्र में वनटांगिया समुदाय से जुड़े लोग केयरटेकर के रूप में काम कर रहे हैं। उनको स्थानीय स्तर पर नौकरी प्राप्त हो रही है। उन्होंने वन विभाग को यहां फॉरेस्ट्री कॉलेज के निर्माण के लिए निर्देशित करते हुए कहा कि इसमें फॉरेस्ट्री विषय से सम्बन्धित डिग्री व डिप्लोमा के पाठ्यक्रम चलाए जाएं, ताकि यहां से निकलने वाले विद्यार्थियों को वन विभाग में विभिन्न पदों पर नौकरी प्राप्त हो सके। इसके माध्यम से हम वन विभाग के संरक्षण के साथ-साथ प्रदेश के क्लाइमेट जोंस के अनुसार फॉरेस्ट्री को विकसित करने के कार्यक्रम को आगे बढ़ा सकेंगे। यह इस क्षेत्र के लिए एक बड़ा कार्य हो सकता है। इस दिशा में प्रयास को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश, देश तथा दुनिया का ऐसा पहला राज्य है, जिसने 07 वर्षों में 200 करोड़ से अधिक वृक्षारोपण के बड़े लक्ष्य को आगे बढ़ाया है। वर्ष 2017 से पूर्व पेड़ काटे जाते थे। वर्ष 2017 के बाद पेड़ लगाए जा रहे हैं। इनकी रक्षा कर प्रकृति के साथ-साथ वर्तमान पीढ़ी को बचाने का कार्य किया जा रहा है। हरियाली तथा प्रकृति के अभाव में मानवता को संकट का सामना करना पड़ेगा। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव के कारण असमय तथा मूसलाधार वर्षा होना, बादल फटना, आकाशीय बिजली गिरना आदि घटनाएं हो रही हैं। इसके कारण फसलें भी प्रभावित हो रही हैं।

जनपद गोरखपुर भी विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर हो रहा है। यहां बन्द पड़ा खाद का कारखाना फिर से प्रारम्भ हो चुका है। एम्स प्रारम्भ हो चुका है। आज बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज पहले की तुलना में बेहतरीन सेवाएं प्रदान कर रहा है। चारों ओर से फोरलेन तथा सिक्स लेन की कनेक्टिविटी हुई है। लोगों को गोरखपुर के प्राणी उद्यान में  प्रकृति के साथ रहने का अवसर प्राप्त हो रहा है। यहां का रामगढ़ ताल नए कलेवर के साथ सबके सामने है। यहां के सड़कों की लाइटिंग हर एक को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।
मुख्यमंत्री ने जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के पोस्टर का विमोचन किया। उन्होंने इस केंद्र के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान देने वाले कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किये।
इस अवसर पर जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इसके पूर्व उन्होंने संरक्षण केंद्र के परिसर में पौध रोपण किया।
कार्यक्रम को वन एवं पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अरुण कुमार सक्सेना तथा सांसद श्री रविकिशन शुक्ल ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री के0पी0 मलिक, विधायक श्री फतेह बहादुर सिंह, श्री विपिन सिंह, श्री प्रदीप शुक्ला, श्री विमलेश पासवान, विधान परिषद सदस्य श्री धर्मेंद्र सिंह, महापौर श्री मंगलेश श्रीवास्तव सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष श्रीमती चारु चैधरी, अपर मुख्य सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन श्री मनोज सिंह एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।


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